वर्षा ऋतु पर निबंध इन हिंदी

वर्षा ऋतु पर निबंध

वर्षा ऋतु पर निबंध, वर्षा ऋतू कृषि के लिए रीड की हड्डी है| फसले बोई जाती है| धरती के कण-कण में नव यौवन का संचार होता है| चारो तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है. फूल खिलने लगते है. चारो तरफ जल का बहाव नदी नालो में बढ़ स्थिति बन जाती है| इंद्र धनुस के रंग असमान को सुन्दरता प्रदान करता है| मेढक टारटराने लगते है. ऐसा लगता है धरती ने हरे रंग का रूप धारण कर लिया हो| वर्षा ऋतू को वर्ष भर की जननी मना गया है| क्योंकि इसी ऋतू के कारण ही विभिन्न प्रकार के अनाज, फूल, फल, सब्जियाँ प्राप्त होती है| जहाँ पर नदियाँ एवं कुआँ नहीं होता है. वहां पर वर्षा पर ही पूरा निर्भर रहना पड़ता है| इसलिए मेघो को विश्वम्भर भी कहते है| वर्षा से सभी प्रकार की गंदगी बह जाती है. वातावरण स्वच्छ तथा निर्मल बन जाता है|

पंजाब में तो “सावो” का उत्सव बड़े उत्साह से मनाया जाता है| नदियों द्वारा वर्षा का जल अपने साथ उपजाऊ मिटटी लाकर मैदानों में बिच्छा देता है. जिससे धरती उपजाऊ बन जाती है| जहाँ वर्षा से बहुत लाभ है. वहां इससे हानियाँ भी है. गढढे के जल से मच्छर उत्पन्न हो जाते है| जिससे मलेरिया जैसे रोग फैलाते है| चारो और पानी ही पानी से कीचड़ होने के कारण चलना फिरना कठिन हो जाता है. कार्य करने में भी बाधा उत्पन्न हो जाता है| बढ़ से गाँव नष्ट हो जाते है. हानियाँ होने के वावजुद वर्षा मानव जीवन के लिए एक वरदान है|

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