G20 एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसमें 19 देशों और यूरोपीय संघ के सदस्य देश शामिल हैं। यह एक आर्थिक सम्मेलन है जो विश्व अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों के मुद्दों पर चर्चा करता है। G20 की स्थापना 1999 में की गई थी और इसका पहला सम्मेलन 2008 में हुआ था।
G20 का मुख्य उद्देश्य विश्व अर्थव्यवस्था को सुधारने और स्थिर करने के लिए सहयोग करना है। इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है जैसे कि व्यापार नीति, वित्तीय स्थिति, कारोबारी नियम, शुद्धता और ज़हरीले पदार्थों के खिलाफ लड़ाई आदि।
इसके सदस्य देशों की सूची में आर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स शामिल हैं।
यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के देशों को एकत्रित करता है और उनके बीच सहयोग और समझौता करता है। इसके सदस्य देशों के प्रमुख नेताओं का एक वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया जाता है जहां वे विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और संबंधित निर्णय लेते हैं।
भारत G20 का सदस्य कब बना
वैश्विक आर्थिक मंच G20 दुनिया के 20 सबसे बड़े और प्रमुख अर्थशास्त्रीय देशों का संगठन है। यह दुनिया के विकासशील और आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से ग्लोबल सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। भारत G20 का सदस्य बनने के लिए अपने आर्थिक और राजनीतिक महत्व को प्रदर्शित करने के लिए अनेक चरणों से गुजरा है।
Bharat को G20 का सदस्य बनाने का प्रयास शुरू 1999 में हुआ था, जब अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री थे। हालांकि, भारत को इस मंच का सदस्य बनाने का निर्णय आधिकारिक रूप से 2008 में लिया गया था। इससे पहले, भारत ग्रुप ऑफ 8 (G8) का सदस्य था, जो दुनिया के आठ प्रमुख और विकासशील देशों का संगठन था।
भारत को G20 में सदस्यता के लिए चुना जाना एक महत्वपूर्ण पहल थी, क्योंकि इससे भारत को वैश्विक मंचों में अपनी आवाज को सुनाने का और अपने हितों की रक्षा करने का अवसर मिला। भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति और उभरती जनसंख्या ने इसे एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।
भारत को G20 का सदस्य बनाने के बाद से, देश ने अपने आर्थिक और वित्तीय संकटों का सामना किया है और वैश्विक आर्थिक मामलों में अपनी भूमिका में सुधार किया है। भारत ने G20 के माध्यम से अपने आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए नई नीतियों और सुझावों का समर्थन किया है।
इसके अलावा, भारत ने G20 के माध्यम से विश्व व्यापार और निवेश के लिए अवसरों को प्रशस्त किया है और वित्तीय संकटों को संभालने के लिए सहयोग किया है। भारत के G20 में सदस्यता का एक और लाभ यह है कि यह देश को वैश्विक स्तर पर अपने व्यापारिक और वाणिज्यिक मामलों को सुधारने का मौका देता है।
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