मेरा भारत देश महान निबंध हिंदी

भारत देश महान निबंध

भारत देश महान निबंध स्वर्ग से सुंदर भारतवर्ष के पवन नाम से तन, मन तथा प्राणों में नव चेतना उत्पन्न होकर उल्लास का सागर उमड़ पड़ता है| यही एक ऐसा देश है. जिसकी गौरवगाथा केवल धरा ही नहीं बल्कि असमान के देवता भी गाते है| सर्प्रथम इसका नाम आर्यावर्त था| इसके पश्चात् इसकी सीमाएँ बढ़ी और इसका नाम भारत वर्ष हो गया| मुस्लिम शासक द्वारा सिन्धु नदी के आधार पर इसका नाम हिन्दोस्तन पड़ा| अंग्रेजो के शासन काल में इसे इण्डिया कहा गया| 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया| इसको दो भागो में विभाजित किया गया, एक का नाम भारत और दूसरा का नाम पाकिस्तान रखा गया है|

मेरा देश भारत है| यही वो पवन भूमि है. जहाँ जन्म लेने के लिए स्वर्ग के देवता भी तरसते रहते है| संसार में अभी सभ्यता का सूर्योदय भी नहीं हुआ था. जब भारत के ऋषि वेदों की रचना कर रहे थे| ऋषि-मुनियों ने सर्वप्रथम ज्ञान का प्रकाश देकर विश्व के मानव को जीवन का मार्ग दिखाया था| उपनिषदों के ज्ञान से मानवता को नया दर्शन मिला था| भारत केवल अध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि भौतिक दृष्टी से भी संसार का अग्रणी देश रहा है| विज्ञान, गणित, नक्षत्र-विज्ञान, चिकित्साह जगत एवं अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भारत के प्राचीन विद्वानों की देन को भुलाया नहीं जा सकता| मर्यादा पुरुषोतम राम, श्रीकृष्ण, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरु नानक देव, आदि महान पुरुषो ने इसी धरती पर अवतार लिया था|

भारत जिसकी सभ्यता और संस्कृति का किसी समय पूर्व-दक्षिण एशिया में बोलबाला था| जिसकी सीमाएँ कभी पश्चिम में ईरान, पूर्व में वर्मा, उतर में तिब्बत और दक्षिण में श्री लंका को छूती थी| जिसके साहसी व्यापारी वर्ग ने समुद्र की सीमओं को पार करके सुदूर पूर्व और पश्चिम में रोम, मिश्र और अरब देशो के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किये गए थे| जिस देश के कूटनीति सम्बन्ध विदेशो के साथ हजारो वर्ष पूर्व स्थापित हो चुके थे, वही भारत देश मेरा है|

जिसके उतर में गिरिराज हिमालय इसके मस्तक को मुकुट की तरह सुभोभित कर रहा है| और दक्षिण में हिन्द महासागर की लहरे जिसके पवन चरणों को छू रही है| गंगा, यमुना, ब्रहमपुत्र, सिन्धु जैसे नदियाँ इसके गले में मौतियाँ की माला की तरह लटकती हुई इसे शोभायमान कर रही है| केदारनाथ, बद्रीनाथ, गया, जगन्नाथपूरी, प्रयाग राज, हरिद्वार, वाराणसी, जैसे पवित्र एवं पवन तीर्थ स्थान जिसके अंक में बसे हुए है. वही भारत देश मेरा है|

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भारत का प्राकृतिक सौन्दर्य भी किसी देश से कम नहीं| पृथ्वी का स्वर्ग कश्मीर जिसके लहलहाते केसर के फूलो के बाग़ इसकी सौभा को चार चाँद लगा रहे है| आगरा का ताजमहल अपने कलात्मक सौन्दर्य के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है| अजंता और एलोरा की गुफाएँ इसके अतीत के गौरव को संजोए हुए है| राजस्थान का इतिहास, पंजाब और बंगाल की वीरगाथाएँ इसकी स्वतंत्रता की साक्षी है| कुरुक्षेत्र, मथुरा, लखनऊ, दिल्ली, जैसी नगरियो में आज भी पूण्य स्मृतियाँ जीवित है| राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर और नानक की पवन जन्म भूमि ही मेरा प्यारा भारत देश हमारा है|

अपनी अपार धन सम्पदा के कारन ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था| इसके विश्वविधालय में विश्व के कोने-कोने से विधार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे| बाल्मीकि, व्यास, कालिदास, भारवि, तुलसीदास, आदि महान कवियों ने विश्व के अमर साहित्य की रचना भारत की पवन भूमि पर की थी| झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, राम प्रसाद बिसिमल, लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी, सुभास चन्द्र बोस, भगत सिंग,चंद्रशेखर आजाद और जवाहर लाल नेहरु जैसे महान सपूतो ने जिस देश को पराधीनता की बेड़ियो से मुक्त करवाने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, मै उसी देश भारत का वासी हूँ|

आज मेरा भारत विश्व का सबसे बड़ा गणराज्य देश है| स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद मेरा देश निरंतर विकास की और आगे बढ़ रहा है| इसकी प्रगति के मार्ग में अनेक बाधाएँ एवं तूफान आये है. परन्तु वह अपने मार्ग पर लगातार आगे बढ़ रहा है| मेरा देश विभिन्नताओ के होते हुए भी एकता का प्रतीक है| भारत में विभिन्न जाति एवं धर्मो के लोग आपस में मिल जुल कर रहते है| भारत एक शांतिप्रिय देश है. कभी-कभी मानवता के शत्रु इसकी शांति प्रिय नीति का अनुचित लाभ उठाने की चेष्टा भी करते है| फिर भी मेरे देश की आजादी कोई शक्ति छीन नहीं सकती| मेरा देश महान है|

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