कंडेनसर क्या है | what is condensor
Condenser दो Conducting Plates का एक Arengment है, जो Insulating Materials से Insulte किये हुए रहते है| जो विधुत उर्जा को इक्कठा करता है, और जरुरत पड़ने पर Electrical Energy को Deliver भी करता है.
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condensor diagram
condenser working in hindi
दिए गाये Diagram के अनुसार Plate A बैटरी के Positive Terminal के साथ जुड़ा हुआ है| Plate B बैटरी के Negative Terminal से जुदा हुआ है| जैसे ही Switch को On करेंगे, इलेक्ट्रान Diagram में दिखाए गए दिशा के अनुसार प्रवाहित होने लगेंगे|
कुल इलेक्ट्रान बैटरी के Negative Terminal से निकलकर Plate B में जमा होते है| और Plate A से इलेक्ट्रान निकलकर बैटरी के Positive terminal की और प्रवाहित होते है| इस प्रकार Plate A Positive चार्ज हो जायेगा, और Plate B Negative चार्ज हो जायेगा|
जब बैटरी का वोल्टेज और Condenser का वोल्टेज बराबर हो जायेगा, तो इलेक्ट्रॉन्स का प्रवाहित होना बंद हो जायेगा, तब यह समझा जाता है, कि Condenser Full चार्ज हो गया है| यदि तारो को बैटरी से हटाकर आपस में सटाएंगे तो स्पार्किंग होगा, जिससे सिद्ध होता है, कि Current प्रवाहित हो रही है|
Condensor की Capacity किन किन बातो पर निर्भर करता है|
1 Plates के क्षेत्रफल के सीधे अनुपाती में Condenser की Capacity पर निर्भर करता है|
2 Plates के बीच की दुरी के उल्टे अनुपात में Condenser की Capacity निर्भर करती है|
3 Plates के बीच की इंसुलेशन के Die – electric Constant पर Condenser की Capacity निर्भर करती है|
यदि इंसुलेटर का Dielectric Constant अच्छा होता है, तो कंडेनसर की Capacity ज्यादा होगी और यदि इंसुलेटर का Dielectric Constant कम होता है| तो Condenser की Capacity कम होगी|
विधुत बल के नियम Law of Electric Force
1. समान चार्ज एक दुसरे को धकेलते है, तथा असमान चार्ज एक दुसरे को अपनी और खीचते है|
2 दो चार्ज के बीच खीचव या हटाव का बल उन चार्जो के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है|
Capacitor
जब चार्ज के किसी Condenser में स्टोर करते है, तो कंडेनसर का पोटेंशियल बढ़ता है| जिसे Capacity का बढ़ना कहते है| कंडेनसर का दूसरा नाम Capaciter है| जैसे-जैसे वोल्टेज बढ़ता है| चार्ज का Magnetiuten भी बढ़ता है|
इसलिय
Capacitor In Series
Capacitor In Parralel
कंडेनसर के प्रकार | कंडेनसर का उपयोग
1. Mica Condensor – इस प्रकार के Condenser में दो टिन की बहुत पतली चादरों को जो काफी लम्बी होती है| एक दुसरे से Mica की पतली चादर द्वारा Insulate करके रखते है| तथा इन सबको एक साथ लपेट देते है| Connection टिन की चादरों से बाहर निकाली जाती है| इस प्रकार के Condenser अधिकतर रेडियो Circuit में लगाये जाते है, और जहाँ पर कंडेनसर की Capacity Constant रखनी हो, वहां इस्तेमाल करते है|
2. Variable Air Condensor – इस प्रकार के Condenser में कुछ पतियाँ अर्धगोले के रूप में एक लोहे की छाड़ पर फिक्स्ड होती है, जिसको रोटर कहते है| कुछ पतियाँ स्थिर रूप में अर्धगोले के शक्ल में होते है| जिसको Stator कहते है| ये दोनों ऐसे रखे जाते है, कि रोटर Stator के बीच आसानी से घूम सकता है| दोनों Plates एक दुसरे से अलग रहते है, जिनके बीच Air Di-electric का काम करती है| इसकी Capacity पतियों के अन्दर बाहर आने से कम अधिक होती रहती है| इस प्रकार के कंडेनसर की Capacity 0 से 500uf तक होती है| इस प्रकार के कंडेनसर का उपयोग रेडियो Receiver में करते है|
3. Electrolytic Condensor – यह एक अधिक Capacity का बनने वाला Condenser है, जिसकी Capacity 10 से 100uf तक हो सकती है| इस प्रकार के कंडेनसर shaft एल्युमीनियम के बने होते है| इसको Parralel या Series Parralel Combination में करके कंटेनर में रखा जाता है| जिसे इच्छा अनुसार Capicitance और वोल्टेज रेटिंग के लिए Blocks एल्युमीनियम या टिन या Mild Steel कंटेनर में रखा जाता है| सारे यूनिट को हाई Vaccum पर सुखाया जाता है| और बहुत ही साफ इंसुलेटर डालकर सील कर दिया जाता है|