रक्षा बंधन
रक्षा बंधन पर निबंध for Class 6 Hindi किसी इतिहासकार ने सर्वथा ठीक कहा है. कि त्यौहार जाति के जीवित इतिहास होते है| इसी कारण हिन्दू जाती ने भी कुछ दिनों को विशेष आदर दे रखा है| ये दिन समाज में अत्यन्त पवित्र समझे जाते है. तथा इन्हें त्यौहार या पर्व के नाम से सम्बोधित किया जाता है|
ये हमारे प्राचीन गौरव के स्मारक है. तथा हमारी पवित्र भावनाओं का अमृत कोष है| ऐसे पवन पर्वो में रक्षा बन्धन भी एक पर्व है| रक्षा बन्धन (श्रावणी) आर्यों की संस्कृति का सांस्कृतिक पर्व है| वर्णक्रम में यह प्रधानतः ब्राह्राणो से विशेष सम्बन्ध रखता है| प्राचीन काल में बड़े-बड़े यज्ञ किये जाते थे. और उनकी समाप्ति पर सब आर्यों के हाथ पर यज्ञ सूत्र बाँधा जाता था| इस सूत्र को बाँधने वाले प्रेम सूत्र में बाँधे जाते थे. तथा विपत्ति के समय एक दुसरे की सहायता करना अपना परम कर्तव्य समझते थे| इससे परस्पर सहानुभूति, स्नेह एवं एकता के भावो का विकास होता था|
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वर्तमान काल में रक्षा बन्धन का त्यौहार अपने रूप की छाया मात्र ही रह गया है| अतः श्रावणी का पर्व हमे संजीवनी शक्ति प्रदान नहीं करता फिर भी इस पर्व का बड़ा महत्त्व है| इस महत्व के समय बहने अपने भाइयों को राखी बांधती है| यदि कोई अन्य महिला राखी बांधती है तो वह धर्म-बहन बन जाती है| उसकी रक्षा का भार भाई को उठाना पड़ता है| चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो| राजपूत महिला कर्मवती इस बात का साक्षात् प्रमाण है. जब अन्य धर्मावलम्बी हुमायूँ से रक्षा पाने के लिए बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी और उसने राजपूत महिला की प्राणपन से रक्षा की| शत्रु को मर भगाया| राखी के चमत्कार एक नहीं अनेक है| जब राखी से बांधे भाइयों ने धर्म-बहनों के सतीत्व की लाज रख कर अपना नाम अमर किया| वास्तव में “राखी” रक्षा सूत्र प्रेम का प्रतिक है|
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युग परिवर्तनशील है| जैसे-जैसे युग बदलते गया, रक्षा बन्धन का त्यौहार भी बदलता गया| सर्वप्रथम प्राचीनकाल में यदि ऋषियों द्वारा यज्ञ के पश्चात वेदाध्यन की प्रतिज्ञा के साथ यज्ञ सूत्र बाँधा जाता था| सो मध्यकालीन में बहन-भाई को अपनी रक्षा हित राखी के तार बांधती थी| बहन भाईयों के पवित्र प्रेम के सूचक इस पर्व को आजकल लोग राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाते है| परस्पर राखी बांध कर देश रक्षा का प्राण लेते है|
इस पवित्र त्यौहार को हमे बड़ी भावना से मना कर इसकी प्राचीन मर्यादा को सुरक्षित रखना चाहिए| वास्तव में यह प्रेम पर्व समाज में एकता की भावना उत्पन्न करता है. और हिन्दू संस्कृति का रक्षक है|
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