बोकारो स्टील प्लांट
बोकारो स्टील प्लांट एक इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट है. और यह भारत का पहला स्वदेसी स्टील प्लांट है. जो सोबियत संघ कि मदद से वर्ष 1965 में बना है. जिसे स्वदेसी इस्पात सयंत्र के नाम से भी जाना जाता है. यह झारखण्ड के बोकारो जिला में स्थित है. बोकारो स्टील प्लांट सार्वजनिक क्षेत्र का चौथा सबसे बड़ा स्टील प्लांट है. 29 जनवरी 1964 तक ये प्लांट एक एक लिमिटेड कंपनी के नाम से जाना जाता था. इसके बाद सेल में विलय किया गया.
बोकारो स्टील प्लांट देश का पहला स्वदेशी इस्पात सयंत्र है. इसमें जितना भी तकनीक और कौशल का उपयोग हुआ है. वे सभी स्वदेशी है. इस प्लांट में पहला धामन भट्टी वर्ष 1972 में चालू किया गया था. जिसकी कैपेसिटी 40 लाख टन था. जिसमे 3 यूनिट चल रही थी. बाद में इसे 1990 आधुनिकीकरण किया जिससे इसकी कैपेसिटी 45 लाख टन तरल पदार्थ में कर दिया गया.
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बोकारो स्टील प्लांट में उत्पादन
- हॉट रोल्ड कोवयल/ प्लेट / शीट
- कोल्ड रोल्ड कोवयल
- कोल्ड रोल्ड शीट
- तिन मिल ब्लैक प्लेट
- जी .पी शीट
- जी.सी शीट
इसके अलावा पाइप , टयुब, एलपीजी सिलेण्डर आदि का उत्पादन किया जाता है.
बोकारो स्टील प्लांट हिस्ट्री
बोकारो स्टील प्लांट का इतिहास ऐसा है. जब बोकारो का नामकरण नहीं हुआ था. तब इसी प्लांट का नाम माराफारी स्टील प्लांट हुआ करता था. माराफारी स्टील प्लांट जिस जगह पर बनाया गया था. उस जगह पर घने जंगल हुआ करता था. सारे जंगल को काट कर प्लांट का निर्माण कराया गया है. प्लांट पूरी तरह चालू होने के बाद इसका नाम माराफारी स्टील रखा गया था. जो यहाँ का स्थानीय नाम था. लेकिन बाद में मैनेजमेंट ने इस नाम को हटाकर, बोकारो स्टील प्लांट रख दिया. अब पुरे देश इसे बोकारो स्टील प्लांट के नाम से जाना जाने लगा है.
बोकारो के विस्थापित
बता दे कि बोकारो में 80 गांव (64 मौजा ) विस्थापित हुए थे, जिसमे 19 गांव को छोड़कर बाकी सबको पुनर्वासित किया गया है. और नौकरी भी दिया गया है, लेकिन जो बचा हुआ 19 गांव है. उसमे ना तो कोई मुआवजा दिया गया नहीं ज़मीन वापस किया गया, लोग आज भी इंसाफ के लिए दर दर भटकते है. लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम आज तक नही मिला है. ये सब मैनेजमेंट के गलत नीती के करण आज भी विस्थापित को इंसाफ नही मिल पाया है. इसमें बहुतो का उम्र सीमा भी समाप्त हो गया है. तो कुछ ऐसे लोग है. जो अब इस दुनिया में ही नही है.
बोकारो स्टील प्लांट की कुल ज़मीन
वर्ष 1956 में जब बोकारो स्टील प्लांट कि नीव राखी गयी थी. तब ये बिहार राज्य हुआ करता था. लेकिन भूमि अधिग्रहण का नोटिस पहले ही सरकार ने जारी कर दिया था. उस समय बिहार सरकार ये नही चाहते थे. कि इतनी बड़ी स्टील प्लांट कही और लगे. जिसके चलते बिहार सरकार ने कुल 31286.24 एकड जमीन प्लांट निर्माण के लिए दिया गया था. जिसमे 26908.56 एकड अर्जित भूमि, 3600.215 एकड गैर मजरुआ, और 778.56 एकड वनभूमि शामिल है. उसके बाद प्लांट निर्माण कम भी शुरु हुआ, जिसमे स्थानिये लोगो ने भी प्लांट बनवाने में अपना भागीदारी निभाई,प्लांट भी बन के तैयार हो गया .
प्रधानमंत्री का बोकारो दौरा
वर्ष 1968 में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने पहला ब्लास्ट फर्नेश का उद्घाटन किया था. तब इंदिरा गाँधी ने स्थानीय लोगो से कहा था,आप लोग प्लांट के लिए जमीन को दान करे, और बदले में आपलोग के लिए चतुर्थ वर्ग कि नौकरी हमेशा आरक्षीत रहेगा. यानि जब तक इस चिमनी से धुंवा निकलेगा तब तक यहाँ के विस्थापित को चतुर्थ वर्ग कि नौकरी मिलती रहेगी. लेकिन वर्ष 2008 के बाद इसे साजिश के तहत इस ग्रेड की बहाली को बंद कर दिया गया.
रॉ मटेरियल RAW MATERIAL
अब बात करते है. रॉ मटेरियल के बारे में, रॉ मटेरियल झारखण्ड के किरीबुरू और मेघताबुरु से इम्पोर्ट होती है. जहा बहुत बड़ा रॉ मटेरियल का भण्डार है. और कोयले कि आपूर्ति झरिया, न्यूज़लैंड, ऑस्ट्रेलिया से आती है.
सेल क्या है click here
बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना
Bokaro steel plant की स्थापना दिनांक 1 जनवरी 1964 को हुआ था. उस पहले देश में जवाहरलाल नेहरू की सरकार थी. जिसने बोकारो इस्पात संयत्र का नीव राखी थी .
बोकारो जिला
झारखण्ड का 24 जिला में से एक बोकारो जिला है. जो पुरे देश – विदेश में अपने औधोगिक जगत के लिए बहुत जादा लोकप्रिय है. इसके अलावा भी यहाँ बहुत से ऐसे पर्यटन स्थल भी जो बोकारो जिला को एक अलग पहचान दिलाती है. निचे इसकी पूरी जानकारी दी गयी है.
बोकारो जिला के पूर्व में धनबाद जिला, पश्चिम में रामगढ जिला, उत्तर में गिरिडीह जिला और दक्षिण में पुरुलिया जिला से घिरा हुआ है. और ये समुद्र ताल से 210 मीटर कि ऊंचाई पर स्थित है. दामोदर नदी बोकारो जिला से होकर गुजरती है. जो पश्चिम बंगाल के समुद्र में मिलती है. इसके अलावा जिला कि छोटी नदीयो का भी प्रवाह है. जो कोनार, खुसा, उरी है. जिला कि दूसरी नदी गौबी जो कोनार के मध्य से होकर बहती है. जिला में खंजो नदी भी जो दामोदर नदी में जा कर मिलती है.
एक नजर जिला के बारे में
जनसँख्या – 2062350 (2011 के जनगणना के अनुसार)
क्षेत्रफल – 2883 sq. km
भाषा – हिंदी
परुष – 10,72,805
महिला – 9,89,530
R.T.O CODE – JH09
बोकारो जिला कब बना BOKARO ZILA KAB BANA
बोकारो जिला का निर्माण 1 अप्रैल 1991 को हुआ था. जो धनबाद जिला के दो प्रखंड चास और चंदनकियारी तथा गिरिडीह जिला के बेरमो अनुमण्डल को मिलाकर बनाया गया है जिसे आज हम बोकारो जिला के नाम से जानते है .
बोकारो का जलवायु
जिला का जलवायु गर्मी के मौसम गर्म, यानि 40 डिग्री तापमान तक जा सकता है. एवं सर्दी के मौसम में ठण्डी यानी 3 से लेकर 10 डिग्री तक लगभग तापमान रह सकता है. यहाँ वर्षा ॠतु कि शुरुवात जुलाई माह के मध्य से लेकर सितम्बर पूरा महीने तक रहता है.
बोकारो जिला में कृषि
जिला कि खेती मानसून पर निर्भर रहती है. इसके अलावा जहाँ कुआँ, नलकूप बांध जैसे सिंचाई सुविधा है. वहाँ पर मौसमी सब्जी भी उगाया जाता है. जिला के मुख्य फसल धन, ज्वार, बाजरा, कुर्थी, अरहर, मक्का, बादाम शकरकंद आदि है. बोकारो जिला कि मिटटी आम तौर पर लेटराईट और रेतीला है.
बोकारो जिला में खनिज
बोकारो खनिज क्षेत्र में भी धनी है. पुरे बेरमो फुसरो में कोयला का भंडार है. इसके अलावा यहाँ स्टोन, स्टोन बोल्डर, स्टोन चिप, का भी उत्पादन किया जाता है.
अर्थव्यवस्था
बोकारो जिला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह इंडस्ट्री पर निर्भर है. जो विभिन्न प्रकार की छोटी – बड़ी कारखाना शामिल है. जो खेती के साथ साथ लोग बड़ी संख्या में ठेका मजदूरी का भी काम करते है.
वनस्पति एवं जंगली जानवर
जिला में जंगल क्षेत्र बेरमो अनुमंडल है. जो यहाँ जादा घाना जंगल पाया जाता है. इसके अलावा नवाडीह, पेटरवार, गोमिया. कसमार एवं चंदनकियारी शामिल है. इस जंगल में साल के पेड़. शीशम के पेड़, महुवा के पेड़, आम के पेड़, पलाश के पेड़ भारी मात्रा में पाया जाता है.
बोकारो के गोमिया प्रखंड के अंतर्गत लुगु पहाड़ आता है. जो बहुत जादा लोकप्रिय है.
यहाँ के जंगल में हाथी के अलावा कोई भी खूंखार जंगली जानवर नही पाया जाता है. पालतू जानवर में बकरी, गाय, भैस, भेड़, सुवार आदि पाया जाता है.
भाषा, रीति रिवाज एवं पर्व त्यौहार
बोकारो जिला का मुख्य भाषा हिंदी है. इसके अलावा स्थानीय भाषा खोरठा, संथाली, है. जो ग्रामीण क्षेत्र में अधिक बोली जाती है. और कंही – कंही बंगला भाषा भी छिट – पुट बोली जाती है.
बोकारो जिला में लगभग सभी धर्मो के लोग रहते है. जिनका रीति रिवाज एवं धर्म अलग – आलग है. यहाँ मुस्लिम, हिन्दू, सरना धर्म के लोग निवास करते है. जिसमे मुस्लिम का सबसे बड़ा त्यौहार ईद, बकरीद आदि है. और हिन्दू धर्म में दुर्गा पूजा, दीपावली, होली, रक्षा बंधन, छाठ पूजा आदि बड़े धूम – धाम से मनाया जाता है.
सरना धर्म को आदिवासी लोग मानते है. आदिवासी का सबसे बड़ा त्यौहार सोहराय(सरहुल), बहा है. जो बहुत ही धूम – धाम से मनाया जाता है.
बोकारो जिला में मकर सक्रांति से मेला शुरू होता है. जो सप्ताह भर चलता है. ये मेला जिला में बहुत जादा लोकप्रिय है. जिसमे दामोदर नदी के किनारे लगने वाला मेला हथिया पत्थर, भंडारीदाह, बोरवा घाट(बड़े घाट) आदि है. जो बेहद लोकप्रिय मेला मन जाता है. जो ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्र के लोगो का भारी भीड़ रहता है.
परिवहन सुविधा
रेल
जिला के नजदीकी बोकारो रेलवे स्टेशन है. जो सभी बड़े राज्यों से जुडी हुई है. बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा आदि, बोकारो रेलवे स्टेशन से सभी राज्यों कि ट्रेन गुजरती है. जिससे यहाँ के लोगो को काफी सुविधा हुई है. जिसमे लोकल ट्रेन से लेकर राजधानी एक्सप्रेस शामिल है.
सड़क मार्ग
जिला में बस की भी सुविधा है. जिसका सड़क मार्ग चारो तरफ से जुडी हुई है. जिसमे volvo से लेकर A.C बस को एक जिला से दूसरी जिला तक चलाया जाता है.
एयरपोर्ट
बोकारो जिला में हवाई जहाज कि भी सुविधा है. अभी केवल रांची के लिए ही उड़न कि सुविधा है. अभी और इसको बड़ा बनाया जा रहा जिसमे जिला लोगो को दुसरे राज्यों के लिए भी फ्लाइट कि सुविधा मिलेगी. अभी ये काम प्रोसेस में है.
बोकारो जिला में कॉलेज
जिला में कुल 9 कॉलेज है. जो प्रकार है.
बोकारो स्टील सिटी कॉलेज, बोकारो
चास कॉलेज, चास
बोकारो महिला कॉलेज, बोकारो
स्वामी सहजानंद कॉलेज, चास
विस्थापित कॉलेज बालीडीह, चास बोकारो
बिंदेशवरी दुबे महाविधालय पिछरी, पेटरवार
तेनुघट कॉलेज तेनुघट, पेटरवार
के. बी कॉलेज, बेरमो
आर.भी.एस कॉलेज, सेक्टर-12
आर.पी.एस कॉलेज मदनपुर, चन्द्रपुरा
नोट – इसके अलाव भी छोटे स्तर के कॉलेज है. जिसका इसमें जिक्र नही किया गया है.
बोकारो जिला में स्कूल
जिला में कुल 29 स्कूल है. जो इस प्रकार है.
एस.एस उच्च विधालय, कसमार
उत्क्रमित राजकीयकृत विधालय, महुआटांड
उत्क्रमित राजकीयकृत विधालय, रांगामाटी
उत्क्रमित राजकीयकृत विधालय, चाँदो
उत्क्रमित राजकीयकृत विधालय, चतरोचट्टी
उच्च विधालय, पेटरवार
उच्च विधालय, पथुरिया
उच्च विधालय, दांतु
उच्च विधालय, चंदनकियारी
उच्च विधालय, गोमिया
पी.आर उच्च विधालय सतनपुर
जनता उच्च विधालय, पुण्डरु
के.एन उच्च विधालय, हरनाद
कस्तुरबा गाँधी बालिका विधालय, चंदनकियारी
कस्तुरबा गाँधी बालिका विधालय, गोमिया
कस्तुरबा गाँधी बालिका विधालय, कसमार
कस्तुरबा गाँधी बालिका विधालय, चास
कस्तुरबा गाँधी बालिका विधालय, जरीडीह
कस्तुरबा गाँधी बालिका विधालय, नवाडीह
कस्तुरबा गाँधी बालिका विधालय, बेरमो
सर्वोदय उच्च विधालय, पिण्डराजोरा
श्री महावीर जी उच्च विधालय, विजुलिया
श्रमिक उच्च विधालय, तुपकाडीह
रामविलास +2 उच्च विधालय, बेरमो
रामरुद्रा उच्च विधालय, चास
राजकीयकृत उच्च विधालय, दुग्दा
भूषण उच्च विधालय, नवाडीह
बालिका उच्च विधालय, तांतरी
उच्च विधालय बांधडीह
नोट – जिले में प्राइवेट स्कूल भी जो इसमें शामिल नही किया गया है.
बोकारो जिला में नगर निगम/ नगरपालिका
जिला में दो नगर निगम/ नगरपालिका है. जो इस प्रकार है.
चास नगर निगम
नगर परिषद् फुसरो
बोकारो क्यों प्रसिद्ध है?
ये जिला अपने औधोगिक जगत के लिए विश्व भर में प्रसिध है. क्योंकि यहाँ एशिया का सबसे बड़ा प्लांट बोकारो स्टील प्लांट है. जो केन्द्रीय उपक्रम है. जो बोकारो को अलग ऊचाई तक पहुँचाया है. इसके अलावा डी.वी.सी, बियाडा, डालमिया सीमेंट फैक्ट्री और भी छोटे छोटे फैक्ट्री है. बोकरो जिला छोटा नागपुर पठार पर स्थित है .और ये अपने उधोग जगत के लिए प्रसिद्ध है.
थर्मल पॉवर प्लांट
इसके अलावा बिजली बनाने के लिए D.V.C थर्मल पॉवर प्लांट है. जो झारखण्ड से लेकर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को बिजली सप्लाई किया जाता है. जिला में तीन पॉवर प्लांट है.
B.T.P.S (BOKARO THERMAL POWER STATION)
यह पॉवर प्लांट D.V.C द्वारा सबसे पहले स्थापित किया गया था. जो 1953 में इसे 175 मेगावाट बिजली उत्पादन होता था. फिर दुसरे चरण में इसे 630 मेगावाट तक बढाया गया. आज देश का पहला थर्मल पॉवर प्लांट का उपाधि प्राप्त है.
D.V.C ने 1964 में दूसरा पॉवर प्लांट स्थापित किया है. जो 750 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती. जिसमे 4 यूनिट से उत्पादन हो रहा है.
T.T.P.S(TENUGHAT THERMAL POWER STATION)
यह पॉवर प्लांट बिहार सरकार द्वारा 1995-96 में बोकारो के ललपनिया में स्थापित किया गया है. और ये 420 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रही है. वर्तमान समय में एक ही यूनिट से बिजली उत्पादन हो रहा है.
बोकारो जिला में कितने पंचायत है
सबसे पहले जानते है. बोकारो जिला में कितना गांव है, बोकारो जिला में कुल 751 गांव है. जो वर्त्तमान में 676 गांव है. पंचायत कि संख्या 249 है. जिसमे से कुछ गांव को पंचायत में शामिल नही किया गया है. जिससे सरकारी सुविधा उन लोगो तक नही पहुचती है. वैसे गांव जो इंडस्ट्री एरिया में आता है. जो मनेजमेंट के द्वारा विकास हो, वैसे गांव को शामिल नही किया गया है .
बोकारो जिला में कितने प्रखंड है
बोकारो जिला में कुल 9 प्रखंड है. और 2 अनुमण्डल है. चास अनुमण्डल और बेरमो अनुमण्डल, बोकारो जिला के कुल 9 प्रखंड इस प्रकार है .
- बेरमो – पेटरवार
- बेरमो – बेरमो
- बेरमो – जरीडीह
- बेरमो – नवाडीह
- बेरमो – गोमिया
- बेरमो – कसमार
- बेरमो – चन्द्रपुरा
- चास – चास
- चास – चंदनकियारी
बोकारो जिला में कितने विधानसभा है
बोकारो जिला में विधानसभा कि संख्या 4 है .जो इस प्रकार है . बोकारो विधानसभा , चंदनकियारी विधानसभा , बेरमो विधानसभा , गोमिया विधानसभा आदि . लेकिन बोकारो विधानसभा में बी.जे .पी, चंदनकियारी विधानसभा में बी.जे .पी, बेरमो विधानसभा में कांग्रेस और गोमिया विधानसभा में आजसू के कब्जे में ये सीट है.
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स्वास्थ सेवा बोकारो हॉस्पिटल
बोकारो जनरल हॉस्पिटल जो b.s.l के अतर्गत आता है. जिला का सबसे बड़ा हॉस्पिटल माना जाता है. क्योंकि यहाँ पर सभी प्रकार के स्पेसिलिस्ट डॉक्टर होते है. जो हर तरह कि बीमारी का इलाज़ किया जाता है. इसके अलावा जिला में और भी हॉस्पिटल है. जो झारखण्ड सरकार चला रही है. उनमे से सदर हॉस्पिटल प्रमुख है. और भी छोटे छोटे प्राइवेट नर्सिंग होम बहुत सारे मौजूद है.
बोकारो के पर्यटन स्थल
- लुगुबुरु
- सिटी पार्क
- जवाहरलाल नेहरु जेविक पार्क
- गरगा डैम
- तेनु डैम
नोट – बोकारो जिला में एक स्टेडियम भी है. जिसका नाम है. मंगल स्टेडियम
लुगुबुरु
घंटाबड़ी बहुत ही लोकप्रिय जगह है .और ये गोमिया प्रखंड के ललपनिया गांव के अंतर्गत आता है . जो तेनु डैम के तलहटी पर स्थित है .यहाँ हर साल लाखो लोग लुगु बाबा के दर्शन करने के लिए देश विदेश से लोग आते है .यहाँ कि हरियाली और तेनु डैम का जलाशय यहाँ का प्रयर्टक स्थल बना हुआ है. ललपनिया में एक पॉवर प्लांट भी है .जो T.T.P.S के नाम जाना जाता है . घंटाबड़ी कि अपनी अलग संस्कृति है .जो उसको अलग पहचान मिली है . लोग अपनी कष्ट दूर करने के लिए लुगुबबा से मन्नत मागते है .और लुगुबबा उसे पूरा भी करते है .ऐसे लोगो कहना है .
घंटाबड़ी में लगने वाला मेला
यहाँ हर साल कार्तिक पूर्णिमा में दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है. जिसमे लाखो लोग बड चढ़ के हिसा लेते है. उस दिन ललपनिया का पूरा ट्रैफिक सिस्टम जाम होता है. क्योंकि गाड़ी कि संख्या इतनी अधिक होती है. जो लोग लुगुबबा का दर्शन करने के लिए आते है. वो सबसे पहले लुगु पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है. और वंहा से करीब 7 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. एक गुफा जो बहुत बड़ा है. गुफा के अन्दर जाने से पहले स्नान करना पड़ता है. लुगुबबा कि कृपा है. जो इतने घने जंगल के अन्दर भी झरना है. जो प्रचंड गर्मी में भी नही सूखती है. यहाँ इस झरने में लोग नहाते है. उसके बाद गुफा कि और जाने कि तेयारी होती है. गुफा के अन्दर जाने के बाद एक शिवलिंग मिलती है. जो लोग उसे पूजा करते है.
सिटी पार्क city park
सिटी पार्क बोकारो शाहर से करीब 2 किलोमीटर कि दुरी पर स्थित है. लेकिन फॅमिली, बच्चा, दोस्त के साथ टाइम बिताने का बहुत बेहतरीन जगह है. और पिकनिक स्पॉट के लिए भी बहुत अच्छा जगह माना जाता है. सिटी पार्क बोकारो के सेक्टर 3 में है. यहाँ पर कित्रिम झील भी है. जो नौका के चलने के लिए प्रसिद है. जिसे लोग नौका बिहार के नाम से भी जानते है. यहाँ पर चारो तरफ पेड़ पौधा और हरियाली जो लोगो को अकर्सित करती है.
जवाहरलाल नेहरु जैविक पार्क
जवाहरलाल नेहरु जैविक पार्क एक जैविक उधान है. यानि चिड़ियाघर में जितने जानवर पंछी रहते है. वे इस पार्क में मिलेगे जवाहरलाल नेहरु जेविक पार्क का निर्माण 80 के दशक में हुआ था. जो बाद इसे 90 के दशक में अंतिम चिड़ियाघर का रूप दिया गया ये पार्क सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) द्वारा संचालित होती है.इस पार्क में बहुत से चिड़िया ,जानवर , जो बिलुप्त हुए है. उसे देश विदेश से यहाँ लाया गया है. इस पार्क में बच्चो के लिए ट्रेन ,और नौका यानं कि भी सुविधा उपलब्ध है. जो बच्चा के लिए अकर्सन का केंद्र बना हुआ है. इस पार्क में स्कूल के बच्चे हर साल दूर दूर से पिकनिक मानाने के लिए आते है. जिस वजह से इसे भी पिकनिक स्पॉट का दर्ज़ा प्राप्त है. और राज्य का बड़ा जैविक उधान का भी दर्ज़ा प्राप्त है.
गरगा डैम
गरगा डैम बोकारो वासी के लिए बहुत ही सुन्दर जगह है. जो पिकनिक मनाने के लिए अच्छा है. गरगा डैम बोकर शहार से लगभग 13 किलोमीटर कि दुरी पर स्थित है. और बोकारो रेलवे स्टेशन के नजदीक पड़ता है. यह डैम बोकारो शहर वासी के लोगो को पानी कि आपूर्ति के लिए बनाया गया है. और बिजली उत्पादन के लिए भी इस डैम का पानी उपयोग किया जाता है.
तेनु डैम
बोकारो तेनु डैम या तेनुघाट डैम शहर से लगभग 75 किलोमीटर कि दुरी पर पश्चिम दिशा में स्थित है. और ये बेरमो अनुमण्डल के पेटरवार ब्लॉक के अंतर्गत आता है. तेनु डैम का निर्माण 1973 ई में किया गया था. इस डैम के निर्माण के दो कारण थे. सबसे बड़ा कारण तो या था. कि बोकारो के इंडस्ट्री को पानी उपलब्ध कराना चाहे वो सेल हो या दूसरा प्लांट हो, और दूसरा कारण था. बोकारो के नागरिको को सिचाई हेतु पानी उपलब्ध कराना. तेनु डैम का जल भण्डारण खंडोली झील के द्वारा किया गया है . और इसकी टोटल जल भण्डारण क्षमता 6,300 sq फीट है.
तेनु डैम की ऊँचाई
तेनु डैम ऊचाई लगभग 180 फीट है. और लम्बाई 5000 मीटर (16000 फीट ) है. तेनु डैम में 10 बड़ा गेट है. जो बरसात के मौसम में जलस्तर बढ़ने पर इस गेट को खोला जाता है. जिससे नदी में बढ़ आ जाती है .और गर्मी के मौसम में छोटे गेट को खोला जाता है . जिसको रेडियल गेट भी कहा जाता है. इसको टूरिज्म जगह बनाने के लिए सरकार काम कर रही है. यहाँ पर पिकनिक के लिए बहुत ही सुन्दर जगह माना जाता है . जो सेलानियो के लिए अकर्सन का केंद्र है .
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