पत्र लेखन
पत्र-लेखन एक कला है| यह अपने परिवार वालो से, दोस्तों से तथा विभिन्न कार्यालयों के अधिकारीयों से सम्पर्क रखने का सरल साधन है| कई बार संकोच, भय अथवा अन्य किसी कारण से हम अपने उद्गारो को किसी व्यक्ति के सामने प्रकट नहीं कर पाते है| तब पत्र एक अच्छा दूत का काम करता है|
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अच्छे पत्रों की विशेषताएँ
एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित गुण होने चाहिए
1. पत्र की भाषा सरल होनी चाहिए
2. पत्र निष्कपट, भाव से, बात-चीत की शैली में लिखा जाना चाहिए|
3. पत्र में किसी प्रकार का आडंबर नहीं होना चाहिए|
4. पत्र में शिष्टाचार का सावधानी से प्रयोग होना चाहिए| यदि हम अपने से बड़े को पत्र लिख रहे है, तो पत्र में सम्मान का भाव व्यक्त होना चाहिए| छोटो को पत्र लिखते समय हमारा स्नेह प्रकट होना चाहिए
5. पत्र में अनावशयक विस्तार नहीं होना चाहिए| व्यर्थ की ऊट-पटांग बाते पत्र के प्रभाव को कम कर देती है|
6. पत्र में पता, तिथि, सम्बोधन, अभिवादन, समाप्ति आदि सुस्पष्ट ढंग से होना चाहिए|
पत्र लेखन के प्रकार
पत्र अनौपचारिक तथा औपचारिक होते है| अनौपचारिक पत्रों में व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक आदि पत्र आ जाते है| तथा औपचारिक पत्रों में व्यवसाय तथा सरकारी कार्यालय से संबंधित पत्र आते है| इस तरह मुख्यतः हम पत्रों को चार प्रकार में विभाजीत कर सकते है|
1. सामाजिक पत्र – सामाजिक स्तर पर विवाह, मृत्यु, जन्म-दिवस, गृह-प्रवेश आदि के मांगलिक अथवा संस्कार-उत्सव पर लोगो को आमन्त्रित करने के लिए जो पत्र लिखे अथवा छपवाये जाते है, वे सामाजिक पत्र कहलाते है|
2. व्यक्तिगत पत्र – ऐसे पत्र, जो माता-पिता, भाई-बहन अथवा किसी भी अन्य प्रियजन मित्र को लिख जाते है, व्यक्तिगत पत्र कहलाते है|
3. व्यावसायिक पत्र – किसी भी व्यवसायी द्वारा व्यवसाय के संबंध में दुसरे दुकानदारो, ग्राहकों, व्यापारीयों, कारखानेदारो अथवा फर्मो को जो पत्र लिख जाते है, वे व्यावसायिक अथवा व्यापारिक पत्र कहलाते है|
4. सरकारी पत्र – जो पत्र सरकारी कार्यालयों द्वारा अन्य सरकारी कार्यालयों, विभागों, व्यक्तियों को लिखे जाते है, वे सरकारी पत्र कहलाते है|
पत्र – लेखन के कुछ नमूने
चोरी के सम्बन्ध में थाना प्रभारी को आवेदन पत्र
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