दशहरा पर निबंध
दशहरा पर निबंध जिस प्रकार समुद्र में अनेक छोटी-छोटी नदियाँ आकर समा जाती है. और अन्त में एक ही सागर बन जाती है, उसी प्रकार हमारे देश में अनेक तीज-त्यौहार, उत्सव छोटे-बड़े रूप में आकार हमारी संस्कृति को समृद्ध बनाते है| भारतवासियों की भावना और उनके विश्वास तथा रीती रिवाज सभी भारत की संस्कृति के अभिन्न अंग है| दशहरा भी हमारा एक इसी प्रकार का त्योहार है| दशहरा पर्व का सम्बन्ध रामायण से है| यह त्योहार अशिवन मास की दशमी को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है| क्योंकि इस दिन रघुवंश शिरोमणि भगवान् ने अन्यायी और अत्याचारी लंकापति रावण को मार कर लंका पर विजय प्राप्त की थी| अतः इसको विजय दशमी भी कहते है|
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श्री रामचन्द्र की विजय-यात्रा का यह दिन और भी कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है| प्राचीनकाल से भारतवर्ष में साधु महात्मा राजागण तथा व्यापारी अपनी यात्रा स्थगित कर देते थे| क्योंकि वर्षा उसके मार्ग में बाधक होती थी| शरद ऋतू के आगमन पर क्षत्रिय अपने बन्द शास्त्रों को निकल कर उनको तेज कर उनकी पूजा करते तथा अपनी विजय यात्रा आरम्भ कर देते| व्यापारी अपने व्यापर के लिए विदेशो में जाते थे| इसके अतरिक्त साधु महात्मा लोग धर्म-प्रचार तथा तीर्थ यात्रा का श्री गणेश करते थे| इसलिए यह पर्व अति उत्साह से मनाया जाता है| भारतियों की यह धारणा है. कि इस दिन कोई भी कार्य आरम्भ करने से विजय प्राप्त होती है|
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दशहरा के नौ दिन पहले नगर-नगर तथा गाँव-गाँव में रामलीला या रामकथा होती है| और रावण का वध किया जाता है| विजय दशमी के दिन किसी खुले मैदान में रावण, कुभ्कर्ण और मेघनाथ आदि के पुतले खड़े किये जाते है| इस दिन बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी नए वस्त्र धारण करके इस मेले को देखने जाते है| राम-लक्ष्मण की कई झाकियाँ निकली जाती है| हनुमान को देखकर लोग वीरता और उत्साह से उछालने लगते है| कई प्रकार के बाजे भी बजते है| राम और रावण की बनावटी लड़ाई के बाद लंका को आग लगा दी जाती है| क्रमशः मेघनाथ, कुम्भकर्ण और रावण जलने लगते है| जिनको सुनकर सम्मिलित जनसमूह बाल, वृद्ध तथा युवक भगवान राम की जय-जय के गगन भेदी जयकारो से अपार उल्लास का प्रदर्शन करते है|
बंगाल में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है| कन्याओ की दुर्गा के रूप में पूजा करते है| यहाँ नवमी के दिन पशु बलि भी दी जाती है| इस पर्व से हमे मर्यादा पालन, गुरु भक्ति, आदर्श मित्रता, आदर्श सेवा, पति भक्ति आदि अनेक संदेशो की शिक्षा प्राप्त होती है| अतः हमारा यह परम कर्तव्य है. कि हम अपने आदर्श त्योहार एवं पर्वो को मनाकर अपने जीवन को उच्च बनाये|
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