कबूतर ने सुनी अमरकथा
कबूतर ने सुनी अमरकथा एक बार पार्वती ने भगवान शिव से अमरकथा सुनाने का आग्रह किया| पार्वती के बहुत आग्रह करने के बाद शिव जी मान गए| शिव जी ने कहा मै ये अमरकथा किसी किसी एकांत स्थान पर सुनाऊंगा, जहाँ किसी भी जीवित प्राणी की उपस्थिति ना हो| उसके बाद भगवान शिव और पार्वती एक स्थान पर गए, लेकिन वो स्थान भी एकांत नहीं लगा फिर दोनों कुछ और आगे गए| रस्ते में उन्होंने एक पर्वत देखा, और वो स्थान उसे पसंद आ गया फिर दोनों उस पर्वत की और चले गए|
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पार्वती को अमर कथा सुनाई
भगवान शिव ने प्राणवायु शक्ति का प्रयोग किया, वहां जितने भी पशु पंक्षी थे, वो सभी चले गए| तब भगवान शिव ने पार्वती से कहा जब मै आपको अमरकथा सुनाऊंगा तब आप बीच-बीच कुछ आवाज निकलियेगा| जिसमे मै यह समझ जाऊंगा की आप अमरकथा सुन रही है| उसके भगवान शिव ध्यान में बैठ गए और अमरकथा सुनाना प्रारम्भ किया| पार्वती ध्यान से अमरकथा सुनने लगी|
जब भगवान शिव ने प्राणवायु शक्ति का प्रयोग किया था. तब सारे पंक्षी वहां से उड़ गए थे, मगर कबूतर के दो बच्चे नहीं उड़े थे, क्योंकि उन्हें उड़ना नहीं आता था| इसलिए वे उस गुफा में ही रह गए थे. वह गुफा के बीच में बने एक रेक में बैठे हुए थे| और वो भी अमरकथा सुन रहे थे. पार्वती अमरकथा सुनते सुनते सो गयी, शिव अमरकथा सुनते जा रहे थे| और कबूतर के बच्चे अमरकथा सुनते सुनते बीच-बीच में आवाज निकाल रहे थे. जिसमे शिव को लग रहा था. कि पार्वती अमरकथा सुन रही है|
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अमरकथा सुनी चिड़िया की कहानी
शिव ने जब अमरकथा पूरा सुनाकर आंखे खोली तो देखा की पार्वती सो रही है| और उन्होंने पार्वती को जगाया और उनसे पूछा की अपने पूरी अमरकथा सुनी या नहीं तो पार्वती जी ने कहा मै तो अमरकथा सुनते-सुनते बीच में ही सो गयी थी| तब भगवान शिव ने कहा कि जब मै अमरकथा सुना रहा था. तो बीच-बीच में आवाज कौन दे रहा था. तभी गुफा से वही आवाज आयी तब भगवान शिव और पार्वती ने देखा की कबूतर के दो छोटे बच्चे है| तब भगवान शिव ने कहा ये कबूतर के बच्चे महान है. इन दोनों कबूतर ने पूरी अमरकथा सुनी है| और इन दो कबूतर को अमर होने का वरदान देता हूँ, तब से वह दोनों कबूतर अमर हो गए. शिव और पार्वती उन दोनों कबूतर को आशीर्वाद दिया और हिमालय हिमालय पर्वत की और बढ़ गए|
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