हिन्दू धर्म क्या है | हिंदुओं की उत्पत्ति कहां से हुई

हिन्दू धर्म | Hindusim 

प्राचीन काल में अनेक भारतीय धर्मो और दर्शन प्रणालीयों का विकास हुआ| जो हडप्पा संस्कृति के धार्मिक विश्वासों और आर्यों से पहले भारत में रहनेवाले लोगो के धार्मिक विश्वासों का मेल-मिलाप होने पर विविध प्रकार के धार्मिक विश्वासों एवं प्रथाओ का विकास हुआ| इन सबों के सम्मिलित रूप को हिन्दू धर्म का अंग माना गया|

हिंदुओं की उत्पत्ति कहां से हुई

हिन्दू धर्म की स्थापना मूल रूप से “सिन्धु” शब्द का फारसी रूपान्तर है| सम्भवतः हिन्दू शब्द छठी शताब्दी ई॰पू॰ व्यवहार में आया होगा, जब पश्चिमोतर से आये मुस्लिम आक्रमणकारियों के साथ यह नाम पुनः भारत में आया| उस समय तक हिन्दू शब्द के अर्थ में

धर्म का कोई लक्षण नहीं था| मुस्लिम शासको के काल में इस शब्द में धार्मिक भावना का समावेश होने लगा तथा ब्रिटिश शासन के दौरान यह शब्द केवल उन लोगो के लिए प्रयोग किया जाने लगा, जो भारत में प्राचीन काल से चले आ रहे इस धर्म के अनुयायी थे|

Hindu धर्म आदि शंकराचार्य

हिन्दू धर्म का आधार वेद है| वैदिक-कालीन आर्य प्राकृतिक शक्तियाँ अग्नि, वरुण, सोम, सूर्य, आदि को देवता मानते थे| और इनके आराधना में यज्ञ किया करते थे| उस समय न तो मूर्तियाँ थी और न ही मन्दिर| आधुनिक इस धर्म में शंकराचार्य ने अद्वैत वाद का

सिधांत दिया| 12 शताब्दी में रामानुज ने विशिष्टता द्वैतवाद के सिधांत का प्रतिपादन किया| बाद में इसका स्थान मूर्तिपूजा ने ले लिया| होली, दशहरा, रक्षाबन्धन, एवं दीपावली प्रमुख त्यौहार में से एक है| हिन्दू धर्म एक देववादी है| जो आत्मा और ईश्वर के अस्तित्व की बात बतलाता है| वह प्रत्येक हिन्दू को जिस रूप में भी वह चाहे ईश्वर की पूजा करने की इजाजत देता है|

Hindu धर्म के उदेश्य  

इस धर्म  के अनुसार प्रत्येक जीव का अस्तित्व उसके पिछले जीवन के कर्मो से निर्धारित होता है| जो अच्छे और बुरे कर्मो का फल जीव को अवश्य भोगना पड़ता है| इस धरना ने हिन्दू धर्म और पुनर्जन्म के सिधान्तों को जन्म दिया|

1.इस धरना के अनुसार आत्मा अमर है, केवल शरीर का अंत होता है| अतः जीव को अच्छे कर्म ही करना चाहिए|

2.हिन्दू धर्म के अनुसार मानव-जीवन के तीन लक्ष्य है जो इस तरह है

3.धर्म – इसका सम्बन्ध गुणों से है| जो अच्छे कर्मो का स्त्रोत है

4.अर्थ – अर्थ का सम्बन्ध उन सभी भौतिक वस्तुओ से है| जो धार्मिक मार्ग का अनुसरण करके प्राप्त की गयी हो|

5.काम – काम का अर्थ इंद्रिय सुख के उपभोग से है|

इन तीन लक्ष्यों के अनुसरण से मोक्ष की प्राप्ति होती है| जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति ही है|

Hindu धर्म की विशेषता

इस धर्म की विशेषता वर्नाश्रम धर्म है| इसके अनुसार हर व्यक्ति को वर्ण विधान का पालन करना चाहिए| साथ ही विभिन्न आश्रमों के लिए जरुरी कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए|  हिन्दू धर्म के चार वर्ण ब्रहाण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र समाज के शैधान्तिक विभाजन

है| इस धर्म के चार आश्रम ब्रहाचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास जीवन के आदर्श रूप में माने गये चरण है| सैधांतिक, दार्शनिक और कर्मकांड की विविधता के करण हिन्दू धर्म में अनेक सम्प्रदाय उत्पन्न हुए| जो काल-क्रम में सभी सम्प्रदायों ने अपनी पूजा- पदयती विकसित की|  फिर भी प्रत्येक समुदाय के लोग दूसरों के विचारो के प्रति सम्मान की भावना रखते थे|

हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रन्थ

इस धर्म के ग्रंथो में वेदों, भगवद्गीता, ब्राहण, उपनिषद आदि का मानव जीवन में बड़ा महत्त्व है| हिन्दू के जीवन पर रामायण और महाभारत का भी महत्वपूर्ण प्रभाव है| गीता के पालन को प्रेरणा का उपदेश दिया गया है| और रामायण में एक आदर्श पारिवारिक

और सामाजिक जीवन की सिख का उल्लेख है| वर्ण व्यवस्था श्रम विभाजन के सिधांत पर आधारित था| जिसका अनुसरण आज विश्व के प्रायः सभी देश कर रहे है| विश्व की विविधता में एकता की खोज खोज हिन्दू धर्म की अनुपम देन है| Hindu धर्म को मानने वाले

देश इस का प्रसार सम्पूर्ण प्राचीन भारत में था| इस धर्म की कुछ शाखाओ के प्रसार भारत के बाहर विशेष कर पश्चिम एशिया के देशो में भी हुआ|

किताब – वेद, पुराण, महाभारत, रामायण

पूजा स्थल – मन्दिर

 

 

 

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