संज्ञा किसे कहते हैं | संज्ञा के कितने भेद होते हैं?

संज्ञा किसे कहते हैं

संज्ञा किसे कहते हैं, इस संसार में प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई नाम अवश्य होता है| संसार में कोई भी पुरुष, स्थान, गुण, स्वाभाव, ऐसा नहीं है, जिसका नाम न हो| ऐसे शब्द जो किसी पुरुष, स्थान, वास्तु, अथवा गुण आदि के नाम हो संज्ञा कहलाता है| अतः संज्ञा का परिभाषा कुछ इस प्रकार है| संज्ञा की परिभाषा,  किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है| जैसे – रमेश, हाथी, लड़का, किताब, बस, रेल,आदि |

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संज्ञा के भेद

संज्ञा के कितने भेद होते हैं, साधारणतः संज्ञा के तीन भेद माने जाते है – व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, और भाववाचक| परन्तु कई विद्वान संज्ञा के दो भेद और मानते है| इस प्रकार से संज्ञा के 5 भेद माने जाते है| ये भेद है|

व्यक्तिवाचक संज्ञा – जिस संज्ञा शब्द में किसी व्यक्ति विशेष, स्थान अथवा वस्तु विशेष का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है| जैसे – राजेश, राधिका, ताजमहल, आगरा, रामायण, गीता आदि|

जातिवाचक संज्ञा – जिस संज्ञा शब्द से किसी जाति के सभी व्यक्तियों, स्थानों या पदार्थो का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते है| जैसे – पुरुष, स्त्री, लड़की, लड़का, कुता, गाय, भवन, पुस्तक, नगर, स्टेशन आदि|

भाववाचक संज्ञा – जिस संज्ञा शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु, या स्थान के गुण, धर्म, दशा, माप, अवस्था या भाव का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते है| जैसे – मिठास, सुन्दरता, बचपन, बुढ़ापा, लम्बाई, क्रोध, वीरता, संगीत, सफलता, परिश्रम आदि|

समूहवाचक  संज्ञा – जिस संज्ञा शब्दों से व्यक्ति तथा वस्तु के समूह का बोध हो, उन्हें समुहवाचक संज्ञा कहते है| जैसे – कक्षा, सेना, सभा, जनता, दल, भीड़ आदि|

द्रव्यवाचक संज्ञा – जिस संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव्य या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है| जैसे – सोना, चाँदी, लोहा, तेल, गेंहूँ, चना, चावल आदि|

नोट – यदि हम ध्यान से देखे तो द्रव्यवाचक और समुदायवाचक संज्ञाएँ दोनों ही जातिवाचक संज्ञा में समा जाती है| इसी कारण कई हिन्दी विद्वानों ने इन दो संज्ञा को अलग नहीं मना है|

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