शब्द किसे कहते हैं, हमे अपनी बात को कहने के लिए शब्दों की आवश्यकता पड़ती है| शब्दों के उपयोग के बिना हम अपने मन के भाव को प्रकट नहीं कर सकते है| अतः शब्द भाषा की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है| संसार के सब व्यवहार शब्द-ज्ञान और उसके सुद्ध प्रयोग से ही होता है| शब्द अनेक वर्णों से बनते है| जैस – ‘जल’ शब्द के चार वर्णों – ज् + अ्,+ ल् + अ् से मिलकर बना है| जल का अर्थ है पानी| इसी प्रकार दुसरे शब्दों के भी अपने-अपने अर्थ होते है|
परिभाषा
शब्द किसे कहते हैं, एक या एक से अधिक वर्णों के मेल से बनी सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते है| या शब्द किसे कहते हैं, वर्णों के उस सार्थक मेल से बने वर्ण-समूह को शब्द कहते है, जिसका कुछ अर्थ निकलता हो| जैसे – दिनेश, संतरा, मेज, कुर्सी आदि|
यहाँ सार्थक मेल का अर्थ यह है कि हम केवल वर्णों के मेल को ही ‘शब्द’ नहीं कह सकते है| बल्कि उनका मेल होने से वर्ण समूह का एक निश्चित अर्थ भी निकलना चाहिए| जैसे – ‘कमल’ | शब्द का अर्थ है – फूल विशेष, लेकिन ‘मकल’ या ‘लमक’ आदि कहने से किसी अर्थ की प्राप्ति नहीं होती है, हालांकि ‘कमल’ की भाँति इन शब्दों में भी वही तीन-तीन वर्ण है|
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शब्द के भेद
शब्दों के कई प्रकार से भेद किए जाते है| जैसे – अर्थ के आधार पर, प्रयोग के आधार पर, उत्पति के आधार पर| परन्तु यहाँ हम केवल अर्थ तथा प्रयोग के आधार पर ही शब्द के भेदों का चर्चा करेंगे|
1. अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते है
सार्थक शब्द – जिस वर्ण का स्पष्ट रूप से कोई अर्थ निकले, उसे सार्थक शब्द कहते है| जैसे – लड़का, पुस्तक, गाय, दिल्ली, पानी, रोटी आदि|
निरर्थक शब्द – जिस वर्ण समूह का कोई अर्थ न निकले, उसे निरर्थक शब्द कहते है| जैसे – पानी-वाणी, रोटी-राटी, गाना-वाना, मीठा-वीठा, आदि|
2. प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद
बालिका स्कूल जाती है|
बालिकाएँ स्कूल जाती है|
गाय और भैस घास चार रही है|
गायें और भैंसे घास चार रही है|
पहले और दुसरे वाक्य में कुछ शब्दों में लिंग, वचन और कारक आदि के कारण परिवर्तन हो गया है| जैसे – पहले वाक्य में प्रयुक्त बालिका शब्द दुसरे वाक्य में बालिकाएँ बन गया, लेकिन तीसरे वाक्य में ‘और’ शब्द में कोई परिवर्तन अनहि हुआ|
उत्पति के आधार पर शब्द-भेद
उत्पति अथवा उद्गम की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के होते है|
तत्सम – ‘तत्सम’ का अर्थ है उस (संस्कृत) के समान अर्थात संस्कृत के वे शब्द जो हिन्दी में ज्यो के त्यों प्रयुक्त होते है तत्सम शब्द कहलाते है| जैसे –
अक्षर | अजेय | पुष्प | नदी |
आकाश | पर्वत | नगर | स्थान |
रीति | आजीविका | अध्यापक | जल |
शिक्षक | मति | नीति | क्षण |
बालक | आशीर्वाद | आधार | आहार |
अंकुर | खंडन | तरुण | धन्य |
चकित | उधान | अपमान | इच्छा |
टिप्पणी | कनिष्ट | निशा | दहन |
तद्भव शब्द – ‘तद्भव’ का अर्थ है उस (संस्कृत) से उत्पन्न अर्थात संस्कृत भाषा के वे शब्द जो अपने रूप को बदल कर हिन्दी में मिल गए है, तद्भव शब्द कहलाते है| जैसे –
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
अग्नि | आग | कोकिल | कोयल |
घोटक | घोडा | कीट | कीड़ा |
हस्त | हाथ | हस्ती | हाथी |
दुग्ध | दूध | स्कन्ध | कन्धा |
उलूक | उल्लू | रात्रि | रात |
आम्र | आम | अक्ष | आँख |
निद्रा | नींद | स्वशुर | ससुर |
देशज शब्द – जो शब्द देश की विभिन्न भाषाओ से हिन्दी में अपना लिए गए है, उन्हें देशज या देशी शब्द कहते है| जैसे –
बाप | लड़का | लड़की | पगड़ी |
पेट | खिड़की | गाड़ी | परत |
खुरपा | झगडा | लकड़ी | ढेर |
लट्टू | पेड़ | दीदी | टिका |
झुग्गी | ढाँचा | लोटा | चिमटा |
विदेशी शब्द – जो शब्द विदेशी भाषाओ जैसे – अंग्रेजी, उर्दू, फारसी से हिन्दी में आ गए है, उन्हें विदेशी शब्द कहते है| जैसे – रेडियो, स्कूल, गमला, आलू, फर्श, कालीन, दाम, कूपन, गिरजा, रुमाल, बाग़, नमक, बीमार, डेल्टा, टेलीफ़ोन, चाय, कमीज आदि|
व्युत्पति के अनुसार शब्द के भेद
व्युत्पति या स्थान के दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के होते है
रूढ़ शब्द – रूढ़ का अर्थ है प्रसिद्ध| जिन शब्दों के खण्ड सार्थक न हो उन्हें रूढ़ शब्द कहा जाता है| ये शब्द किसी विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो गए है| और इनके टुकड़े नहीं किये जा सकते| जैसे – घोडा, रोटी, मोर, पुस्तक, मेज, घर आदि|
यौगिक शब्द – जो शब्द अन्य शब्दों के योग से बने हो तथा खण्ड करने पर जिनके प्रत्येक खण्ड का कोई सार्थक अर्थ हो, उन्हें यौगिक शब्द कहते है| जैसे –
नक्षत्रमण्डल = नक्षत्र + मण्डल | विधालय = विधा + आलय |
पाठशाला = पाठ + शाला | डाकघर = डाक + घर |
योगरूढ़ शब्द – एक से अधिक शब्दों के मेल से बने ऐसे शब्द जिनके प्रयोग उनके खण्डो के अर्थ से भिन्न किसी विशिष्ट अर्थ में प्रसिद्ध हो गए है| उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते है| जैसे –
पंकज = पंक + ज (कीचड़ में पैदा होने वाला) = कमल |
लम्बोदर = लम्ब + उदर (बड़े पेट वाला) = गणेश जी |
दशानन = दश + आनन ( दस मुख वाला ) = रावण |
नीलकंठ = नील + कंठ ( नीले कंठ वाला ) = शिव जी |
प्रयोग के अनुसार शब्द–भेद
प्रयोग या विकार के अनुसार शब्द दो प्रकार के होते है|
विकारी शब्द – जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक तथा काल के अनुसार परिवर्तन या विकार आता है, उन्हें विकारी शब्द कहते है|
लिंग | लड़का खेलता है | लड़की खेलती है |
वचन | लड़की खेलती है | लडकियाँ खेलती है |
कारक | लड़का खेलता है | लड़के को खेलने दो |
विकारी शब्द चार प्रकार के होते है|
संज्ञा – वरुण, हिमालय, आम, गाय, जवानी, हरियाली, आदि|
सर्वनाम – मै, हम, वह, वे, यह, ये, आदि|
विशेषण – अच्छा, अच्छे, बुरा, बुरी, ऊँचा, ऊँचे आदि
क्रिया – पढता है, पढ़ती है, पढ़ेगा, पढेंगे आदि|
अविकारी शब्द – जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक तथा काल के कारण कोई परिवर्तन या विकार नही होता, वे अविकारी शब्द कहलाते है| जैसे –
लड़का तेज दौड़ता है – लड़के तेज दौड़ते है|
लड़की कमरे के भीतर बैठी है| – लड़के कमरे के भीतर बैठे है|
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