व्याकरण किसे कहते हैं,

व्याकरण किसे कहते हैं, शुद्ध भाषा का बहुत महत्व है| यदि भाषा अशुद्ध, दूषित और विकृत हो तो उसके अर्थ का अनर्थ हो जाता है| इसलिए भाषा को शुद्ध बनाए रखना आवश्यक है| और यह काम व्याकरण करता है| क्योंकि व्याकरण भाषा को शुद्ध रूप में बोलने और लिखने के नियमो का निरूपण करता है| व्याकरण किसे कहते हैं व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे किसी भाषा को शुद्ध रूप में बोलना, लिखना, पढना और समझना सिखाता हो उसे व्याकरण कहते हैं,  हम लिखते, पढ़ते या बोलते समय अनेक गलतियाँ कर जाते है| जैसे –

  • सुधीर मन्दिर जाती है|
  • सुधा पुस्तक पढता है|
  • हम आज बहुत आनन्दित है|

ऊपर सभी वाक्य अशुद्ध है| इनके स्थान पर होना चाहिए:

  • सुधीर मन्दिर जाता है|
  • सुधा पुस्तक पढ़ती है|
  • आज हम बहुत आनन्दित है|

इसका ज्ञान हमे व्याकरण से होता है| इसी बात को हम ऐसा भी कह सकते है कि एक नदी है| जिसमे धीरे-धीरे नदी में नित्य मिलने वाले अन्य नदी- नाले उसके रूप और आकर को बढ़ा देते है| नदी इधर-उधर या टेढ़ा- मेढ़ा भी बहने लगती है| उसे सही दिशा में बहने के लिए जगह-जगह बाँध बनाए जाते है| इसी प्रकार ‘व्याकरण’ भी एक बाँध के समान है जो भाषा रूपी नदी की धरा को एक सीमा में बाँधता है और उसे सही दिशा की और बहा ले जाता है| ‘व्याकरण’ भाषा की अशुद्धता को अपने नियम के हथियारों से काट-काट कर उसे नया और सँवारा हुआ रूप प्रदान करता है|

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व्याकरण के कितने भेद होते हैं

व्याकरण में भाषा की उपयोगी तीनो इकाइयाँ पर विचार किया जाता है| इस प्रकार व्याकरण के तीन विभाग है|

वर्ण विचार – इसमें वर्णों, उनके आकर, उनके लिखने की विधि, भेद तथा उनके उच्चारण आदि पर विचार किया जाता है|

शब्द-विचार – इसमें शब्द, उनके भेदों, उनकी व्युत्पति मेल तथा रूपांतरण आदि पर विचार किया जाता है|

वाक्य-विचार – इसमें वाक्य, उनके भेद एंव रचना, वाक्यों के उपविभाग के परस्पर सम्बन्ध तथा वाक्य विग्रह आदि पर विचार किया जाता है|

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