वायुमंडल किसे कहते हैं.

वायुमंडल

वायु का साम्राज्य पृथ्वी के चारो और है. और इसे हम वायुमंडल के नाम से जानते है. यह विभिन गैसों का मिश्रण है. इसके द्रव्यमान का 99% पृथ्वी तल से 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही मिलता है. इससे स्पष्ट होता है, कि वायुमंडल का विस्तार उपर की और भले ही हजारो किलोमीटर तक हो, पर इसका महत्वपूर्ण भाग पृथ्वी के निकट ही स्थापित है. भारी और आवशयक गैसों का जमाव पृथ्वी ताल से 5 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही सीमित है.

या सीधी शब्द में कहे, हमारा पृथ्वी वायु और गैस से चारो और से घिरी हुई है. और इसी वायु और गैस के मिश्रण को ही हम वायुमंडल कहते है.

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वायुमंडल  में परिवर्तन

पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण शक्ति है. जो वायुमंडल पृथ्वी के साथ टिका हुआ है. वायु गतिशील है. इसके सभी तत्व बदलते रहते है. इन्ही परिवर्तन के कारण कभी हम कभी गर्मी तो कभी ठण्डा अनुभव करते है. कहीं कम वर्षा तो कहीं अधिक वर्षा होती है. कभी मन्द हवाएँ तो कभी भयंकर तूफान आते है. वायुमंडल दशाओ में यह परिवर्तन सौर-उर्जा के कारण होता है. वायुमंडल को प्राप्त सौर-उर्जा के कारण इसके ताप, दाब और आर्द्रता में परिवर्तन आते रहते है

वायुमंडल  में परिवर्तन

 

वायुमंडल का विस्तार

वायुमंडल का विस्तार कितनी ऊँचाई तक है. यह ठीक-ठाक ज्ञात नही है. पूर्व वैज्ञानिक के अनुसार वायुमंडल का विस्तार पृथ्वी की सतह से 1000 किलोमीटर मणि जाती है. परन्तु आधुनिक वैज्ञानिको द्वारा इसका विस्तार 1600 से 2700 किलोमीटर मानी जाती है. कुछ विद्वानों के अनुसार तो इसका विस्तार 32000 किलोमीटर है. अतः सम्पूर्ण वायुमंडल हमारे लिए महत्वपूर्ण है. परन्तु धरातल से लगभग 650 किलोमीटर की मोटाई तक यह हमारे जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करता है.

वायु का कुल भार का 90% धरातल से केवल 32 किलोमीटर की मोटाई तक ही सीमित है. जैसे – जैसे हम ऊपर कि और जाते है. वायु कम होती जाती है. इसका कारण यह है. कि वायु की उपरी परतो का भार वायु की निचली परतो पर पड़ता है. जिससे निचे की परते आपस में सिमट कर घनी हो जाती है. और उपर की और कम होती जाती है. यही कारण है, कि अधिकांश वायु धरातल के समीप ही है.

वायुमंडल की संरचना

विभिन्न प्रकार के गैसों, जलवाष्प, धुलकण, धुएँ से वायुमंडल की संरचना हुई है. इनमे सबसे प्रमुख स्थान गैस का है. वायुमंडल के निचले हिस्से में दो गैस मौजूद है. जिसमे नाईट्रोजन प्रमुख है. वायुमंडल में इसकी मात्रा 78% है. दूसरी गैस ऑक्सीजन है. जिसकी वायुमंडल में इसकी मात्रा 21% है. इस तरह इन दोनों गैसों को मिलकर वायुमंडल की 99% भाग की रचना करती है. और जो बाकी बचा 1% उसमे आर्गन, कार्बन डाईआक्साइड, नियोन, हीलयम, ओजोन, हाइड्रोजन आदि गैस आती है.

ऑक्सीजन को प्राणवायु कहते है. इसके बिना कोई भी जीव जंतु जीवित नहीं रह सकता है. सभी प्राणी साँस द्वारा ऑक्सीजन गैस अन्दर लेते है. और कार्बन डाईआक्साइड बहार छोड़ते है. तथा पेड़ – पौध कार्बन डाईआक्साइड लेते है. और ऑक्सीजन छोड़ते है.

वायुमंडल में कौन कौन सी गैस पाई जाती है

हमारे वायुमंडल में विभिन्न गैसों का अनुपात कुछ इस प्रकार है.

नाईट्रोजन   – 78.03%

ऑक्सीजन – 20.99%

आर्गन – 0.93%

कार्बन डाईआक्साइड – 0.03%

हाइड्रोजन  – 0.01%

अन्य गैस – 0.01%

वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा

वायुमंडल के निचले भाग में जलवाष्प का अनुपात 0 से 4 प्रतिशत तक होता है. जलवाष्प के कारण ही बादल बनते है. और वर्षा होती है. वायुमंडल में धुलकण भी फैले हुए है. जो संघनन का काम करते है. उनके चारो और जलवाष्प द्रवित होकर वर्षा की बूँदें बनाते है. वायुमंडल के निचले परत में धुएँ भी मिलते है.

vayumandal वायुमंडल की परतें

ताप और रासायनिक या गैसीय संरचना के आधार पर हम वायुमंडल की परतों को दो भागो में बाँट सकते है.

तापीय संरचना के आधार पर – ताप तथा अन्य विशेषताओ के आधार पर वायुमंडल को हम पांच परतों में बाँटते  है.

वायुमंडल की परतों के नाम

क्षोभमंडल 

यह परत पृथ्वी से सटी हुई है. क्षोभमंडल को परिवर्तन मंडल भी कहते है. क्योंकि इसकी दिशा दशा बदलते रहती है. इसकी औसत ऊंचाई ध्रुवो पर 8 किलोमीटर और विषुवत रेखा पर 18 किलोमीटर है. वायुमंडल की  सबसे घनी परत है. इसी परत में सभी मौसम परिवर्तन होते है. इसमें एक सा तापमान नहीं रहता है. ऊंचाई की  और बढ़ने पर तापमान में कमी आना लगती है. 165 प्रति मीटर की ऊंचाई पर 1 डिग्री सेल्सियस की दर से तापमान घाट जाता है. धुलकण और जलवाष्प इसी मंडल में मिलती है. मौसम की जितनी भी घटनाएँ है. वो सभी इसी मंडल में होते है. कोहरा, बादल, वर्षा, आँधी तूफान, ओला, मेघ गर्जन, बिजली की चमक आदि.

समताप मंडल 

यह परत क्षोभमंडल के उपर 32 किलोमीटर की ऊँचाई तक मिलती है. क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच एक – दो किलोमीटर मोटी परत  क्षोभ – सीमा कहलाती है. जो दोनों मंडलों के बीच सीमा – स्तर का काम करती है. क्षोभ – सीमा में क्षोभमंडल का मौसमी उपद्रव कम हो जाता है. और समतापमंडल अपना लक्षण दिखाने लगता है. समताप मंडल में वायु शांत हो जाती है. तापमान का वितरण सर्वत्र एक – सा हो जाता है. जलवाष्प और धूलकण नजर नही आते और कोई मौसमी हलचल नहीं हुआ करती है|

ओजोन मंडल 

यह परत समतापमंडल के उपर मिलती है. जो 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक, और इसकी मोटाई 48 किलोमीटर है. समतापमंडल और ओजोनमंडल के बीच समताप – सीमा लगती है. जो संक्रमण सीमा का काम करती है. इस सीमा में तापमान धीरे – धीरे बढ़ना शुरू होता है. ओजोनमंडल में ओजोन गैस की मौजूदगी के करण गर्मी बढती है. क्योंकि ये सूर्य से आने वाली पाराबैंगनी किरण शोख लेती है. जो पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीव जंतु को भयंकर गर्मी से बचाती है. अगर यह परत नहीं होता तो प्रथ्वी में एक भी जीव जंतु जिन्दा नहीं रहते| सभी जीव जंतु जल कर रख हो जाते|

वैज्ञानिक का कहना है. कि ओजोन में छेद हो रहा है. जिससे कुछ पाराबैंगनी किरण पृथ्वी की और आने लगी है. जिसके चलते पृथ्वी पर भयंकर गर्मी का अनुभव किया जाने लगा है. लोग त्वचा कैंसर जैसे रोगों से संक्रमित होने लगे है. तथा कृषि उपज को नुकसान पहुँच रहा है. विश्व की 7.9 अरब से भी अधिक जनसँख्या, औधोगिक और तकनीकी विकास के बल पर खुलते जा रहे है. कल – कारखाने, क्लोरो – फ्यूरोकार्बन का बढता उपयोग, परमाणु विस्फोट आदि ओजोनमंडल को कमजोर बनाने में लगा है. इस गंभीर समस्या से आंखे मूँदी जा सकती है|

आयनमंडल 

यह परत अजोनमंडल के ऊपर है. जो 650 किलोमीटर कि ऊँचाई तक विस्तृत है. इसमें अयन और इलेक्ट्रान मिलते है. जो विधुत आवेशित कण है. इनसे पृथ्वी की चुंबकीय तरंगे टकराकर विभिन्न रंगों की किरणे निकलती है. उसे उतरी ध्रुव में अरोरा बोरियालिस कहते है. इस परत की महत्वपूर्ण विशेषता यह है, कि हमारी ध्वनि तरंगे इसके पार नही जा सकती, वे इस परत से परिवर्तित होकर पृथ्वी पर लौट आती है. जिसके चलते हम रेडियो या टेलीवीजन का परसारण सुन पाते है.

बर्हिमंडल 

यह वायुमंडल की सबसे उपरी या बाहरी परत है. जो अयनमंडल के उपर मौजूद है. यहाँ वायु का आभाव है, और ऊँचाई के साथ तापमान भी बढ़ता जाता है. इस परत में हीलयम और नाईट्रोजन गैस मौजूद है. इसी परत से अंतरीक्ष शुरू होता है. इस परत की विशेष जानकारी इस समय मौजूद नही है.

रासायनिक या गैसीय संरचना के आधार पर वायुमंडल की  परते – इस संरचना के आधार पर वायुमंडल को दो भागो में बांटा गया है.

सममंडल 

इसके अंतर्गत वायुमंडल के निचले तीन परते क्षोभमंडल, समताप मंडल और ओजोन मंडल शामिल है. इसका विस्तार धरातल से 80 किलोमीटर तक है. इस परत में  नाईट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाईआक्साइड, तथा ओजोन गैस पायी जाती है. इनमे गैसों के अनुपात में परिवर्तन नहीं होता है.

विषम मंडल 

यह वायुमंडल की उपरी परत है. और इसका विस्तार 80 किलोमीटर से लगभग 10,000 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक मानी जाती है. इसमें अत्यंत हल्की गैस पायी जाती है. आण्विक नाईट्रोजन, आण्विक ऑक्सीजन, हीलयम, तथा आण्विक हाइड्रोजन गैस की अलग – अलग परते पायी जाती है.

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वायुमंडल का महत्व

वायुमंडल हमारे जीवन को विशेष रूप से प्रभावित करती है. हमारे भोजन, वस्त्र, आवास, रूप, रंग, आदि जलवायु के शक्तिशाली प्रभाव द्वारा ही निर्धारित होते है. हमारी अनुक्रियाएँ जलवायु में अन्तर के कारण भिन्न – भिन्न होती है. वायुमंडल के कारण ही जीव – जन्तुओ और वनस्पति का अस्तित्व सम्भव है. वायुमंडल सूर्य से आने वाली पाराबैंगनी किरणों को शोखकर पृथ्वी को भयंकर गर्मी से बचाती है. वायुमंडल के कारण ही हमारी पृथ्वी पर तापमान में बहुत अधिक अन्तर नहीं हो पाता है. इसलिए वायुमंडल हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

निष्कर्ष 

हमने इस लेख के माध्यम से वायुमंडल के बारे में बताने का प्रयास किया है. मै आशा करता हु कि आपलोग भली – भांति समझ गए होंगे. इस लेख में कहीं भी कोई शब्द छुट गया है. तो हमे कमेंट जरुर करे, अगर ये लेख जारा सा भी अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों एवं सोशल मीडिया में जादा से जादा शेयर करे, धन्यवाद्

 

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