वाक्य किसे कहते हैं | वाक्य के कितने भेद है

वाक्य किसे कहते हैं, वाक्य भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई है| जो मनुष्य अपने विचारो को वाक्य में ही व्यक्त करता है| वाक्य से वक्ता या लेखक का पूरा आशय प्रकट होना चाहिए| वाक्य में शब्दों (पदों) का निश्चित क्रम होता है| वाक्य किसे कहते हैं, जैसे – रानी भोजन बनाती है| इस शब्द-समूह अथवा लेखक का रानी के बारे में बताने का आशय पूरा हो जाता है| अतः यह एक वाक्य है| यदि यह कहा जाये कि ‘रानी भोजन’ तो बात पूरी नहीं होती है| ‘रानी भोजन कहने पर यह जानने की इच्छा होती है. कि रानी भोजन का क्या करती है|

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वाक्य की परिभाषा

वाक्य किसे कहते हैं, सार्थक शब्दों के ऐसे समूह जो मनुष्य के विचारो को पूर्ण रूप प्रकट करे, उसे वाक्य कहते हैं, या सार्थक शब्दों के व्यवस्थित समूह को जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो, वाक्य कहते है| वाक्य भाषा की पूर्ण इकाई है| ऊपर कहा गया है कि शब्दों के व्यवस्थित समूह को वाक्य कहते है| परन्तु यदि शब्दों के सार्थक होने पर भी उन्हें क्रम से न रखा जाये तो उस शब्द समूह का अर्थ ठीक से ज्ञात नहीं होगा

वाक्य के अंग

इसके दो अनिवार्य अंग है – कर्ता और क्रिया

कर्ता के साथ उसके विशेषण रूप में आये पद या पदबन्ध भी आ सकते है और क्रिया के साथ उसके पूरक, कर्म, कर्म-पूरक और क्रिया-विशेषण पद या पदबन्ध भी आते है|

इस प्रकार वाक्य में दो भाग होते

1 उदेश्य subject – वाक्य में जिसके बारे में कुछ बताया या विधान किया जाता है, उसे उदेश्य कहते है|

2 विधेय predicate – उदेश्य के विषय में कुछ कहा जाये उसे विधेय कहते है| उदहारण के लिए

  • रागनी गाती है|
  • कविता जाती है|
  • रवि खेल रहा है|
  • लड़के दौड़ते है|

विस्तार – उदेश्य और विधेय को विस्तार किया जा सकता है|

उदेश्य का विस्तार – उदेश्य (कर्ता) के अर्थ में विशेषता प्रकट करने के लिए जो शब्द या वाक्यांश कर्ता के साथ जोड़े जाते है| उन्हें उदेश्य का ‘विस्तारक’ कहा जाता है| उदहारण के लिए

  • मेरा मित्र राजन पढ़ रहा था|
  • दशरथ पुत्र राम मर्यादा पुरषोतम थे|
  • वीर हनुमान ने लंका जला दी थी|
  • परिश्रमी व्यक्ति सफल रहता है|

विधेय का विस्तार – विधेय के अर्थ में विशेषता बताने वाले शब्द या वाक्यांश विधेय के ‘विस्तारक’ कहलाते है उदहारण के लिए

  • वह पुस्तक पढ़ रहा है|
  • मै इसे लिखकर ही उठूँगा|
  • राम ने वनों से रावण को मारा|
  • मोहनी लम्बा पत्र लिखेगी|

वाक्य के प्रकार

साधारणतया वाक्यों का वर्गीकरण दो दृष्टि से किया जाता है

1 . अर्थ के अनुसार

2 . रचना के अनुसार

अर्थ के आधार पर वाक्य भेद, अर्थ के अनुसार वाक्य के आठ भेद होते है| जो निम्नलिखित है|

1 . विधानवाचक – जिन वाक्य से कार्य के होने की सुचना मिलती हो, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते है| जैसे –

सूर्य गर्मी देता है|

वे स्नान कर चुके है|

2. निषेधवाचक – जिन वाक्यों से कार्य के न होने का बोध होता हो, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते है| जैसे –

वे स्नान नहीं करेंगे

सूर्य छाया नहीं देता|

वह खेलने नहीं जायेगा|

3. प्रशनवाचक – जिन वाक्यों मर प्रश्न पूछे जाने का बोध होता हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते है| जैसे –

वे स्नान कब करेंगे|

क्या सूर्य रोशनी देता है|

3. विस्मयादिवाचक – जिस वाक्य में हर्ष, शोक, विस्मय आदि मनोभाव का बोध हो, विस्मयादिवाचक वाक्य कहते है| जैसे –

ओह ! मेरा सिर फटा जा रहा है|

आहा ! कैसे मनमोहक दृश्य है|

5.  आज्ञावाचक वाक्य – जिस वाक्य से आज्ञा या अनुमति देने का बोध होता हो, उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते है| जैसे –

तुम जल्दी पढाई करो|

तुम ऑफिस से बहार चले जाओ|

6.  इच्छावाचक – जिस वाक्य से इच्छा, शुभकामना, आशीर्वाद आदि का बोध हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते है| जैसे –

दीर्घायु हो|

भगवान तुम्हे सद-बुद्धि दे|

7. संदेहवाचक – जिस वाक्य में संदेह या संभावना का बोध होता हो, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते है| जैसे –

वह जा चूका होगा|

अब तवा ताप चूका होगा|

8.  संकेतवाचक – जिन वाक्य में दो क्रियाएँ हो, उसे संकेतवाचक वाक्य कहते है|

वर्षा होती तो फसले अच्छी होती|

मेरे पास पैसे होते तो यह कपडा खरीद लेता|

रचना के आधार पर वाक्य भेद, रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते है|

1. सरल वाक्य

2. मिश्र वाक्य

3. संयुक्त वाक्य

सरल वाक्य – जब किसी वाक्य में एक ही उदेश्य तथा एक ही विधेय हो, तो उसे सरल वाक्य कहते है| यानि एक क्रिया और एक कर्ता वाले वाक्य सरल वाक्य कहे जाते है| जैसे –

  • लडकियाँ खेल रही है|
  • रमेश पढ़ रहा है|
  • मोहन पढता है|
  • बारिश हो रही है|

ऊपर के सभी वाक्यों में एक ही कर्ता और एक ही क्रिया है| अतः ये सभी सरल वाक्य है|

मिश्र वाक्य – जिस वाक्य में एक से अधिक साधारण वाक्य हों तथा उनमें से एक वाक्य प्रधान हो एवं अन्य आश्रित हो, तो वह वाक्य ‘मिश्र वाक्य’ कहा जाता है| जैसे –

  • जिसके चरित्र में दृढता नहीं होती, वह अपनी इज्जत खो बैठता है|
  • रानी ने कहा कि कल वह मुम्बई आयेगी|
  • शिक्षक ने कहा कि छुटियाँ परसों से होगी|

इन तीनो वाक्यों में एक-एक उपवाक्य प्रधान है तथा अन्य आश्रित| अतः ये मिश्र वाक्य है|

संयुक्त वाक्य – जिन वाक्यों में योजक अव्ययो द्वारा दो उपवाक्य संयुक्त होते है, किन्तु उनमे कोई वाक्य मुख्य या आश्रित नहीं होता, वहाँ संयुक्त वाक्य होता है| जैसे –

  • गोलू आज अपने घर गया और लौट भी आया|
  • आप चाय लेंगे या आपके लिए शरबत बनवाऊँ?
  • आप समय पर पहुँच गए, नहीं तो बस निकल जाती|

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