वन महोत्सव पर निबंध in hindi

वन महोत्सव पर निबंध

वन महोत्सव पर निबंध, भारत के एक तिहाई भूमि पर जंगल है| इतने बड़े भू-भाग को जंगलो से ढक कर ईश्वर ने हमे अतुल सम्पति प्रदान की है| परन्तु हमने अपनी अदूरदर्शिता और विज्ञान के कारण पूर्वजो की बातो  का उपहास किया और दूसरी और भूमि कटाव होने लगा| मरुस्थल बढ़ने लगा| 1953 में श्री के. एम. मुंशी ने वन महोत्सव आरम्भ किया और सरकार ने वन विभाग की स्थापना की|

वृक्षारोपण से देश को अनगिनत लाभ है| वृक्ष वर्षा बरसाने में सहायक होते है| इस वर्षा से हमारी भूमि की सिंचाई होती है| नदियों के जल से बिजली तैयार होती है| जिससे हमारे उधोग चलते है और करोडो लोगो का जीवन निर्वाह होता है| वृक्ष भूमि के कटाव को रोकते है| वृक्षों से ही अनेक प्रकार के फल, फूल, रस, गोंद, बरोजा, तेल और औषधियाँ, लकड़ी आदि अनेक वस्तुएँ मिलती है| यदि हम वृक्ष को निरन्तर काटते रहे तो इन सब वस्तुओ का देश में आभाव हो जायेगा| इसलिए वनों को राष्ट्र की सम्पति कहा जाता है|

सरकार प्रतिवर्ष वन महोत्सव को मनाती है| इस साप्ताहिक कार्यक्रम में लाखो वृक्ष लगायें जाते है| परन्तु उनसे अधिक वृक्ष काट दिए जाते है| ठेकेदार जब जंगल को काटते है तो ऐसे निर्ममता से काटते है कि बकरियों को पत्ते खाने को भी नसीब नहीं होता है| पर्वतो पर लगे वृक्ष को काटकर बिलकुल नंगा कर देते है| इस प्रकार उनके थोड़े से लाभ पर देश की सम्पति नष्ट हो जाती है| वृक्षों को ऐसे वैज्ञानिक ढंग से कटा जाये कि उनसे लकड़ी के साथ-साथ अन्य लाभ भी निरन्तर मिलता रहे|

इन वनों की रक्षा करना यहाँ वन विभाग का कर्तव्य है| और देश के प्रत्येक नागरिको का भी कर्तव्य है कि नये वृक्ष लगायें और पहले वृक्षों की रक्षा करे| इससे प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि होगी तथा जीवन में उपयोगी वस्तुएँ निरन्तर मिलती रहेगी| राष्ट्र के इस अमूल्य सम्पति की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है| तभी तो हमारे पूर्वजो ने कहा कि वृक्ष ही जल है. और जल ही हमारा जीवन है, क्योंकि वृक्ष ही बादलो से जल को अपनी और खींचती है. जिसके कारण धरती की प्यास बुझती है तथा हमे जीवन प्रदान करती है|

Leave a Reply

%d bloggers like this: