लोकोक्तियाँ किसे कहते हैं

लोकोत्तियाँ, मुहावरों के भांति लोकोत्तियाँ का भी भाषा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है| इनके प्रयोग से भाषा में रोचकता, आकर्षण, और अर्थ में चमत्कार आ जाता है| मुहावरा वाक्य के रूप में प्रयुक्त होते है. और लोकोत्तियाँ स्वतन्त्र वाक्य के रूप में|

मुहावरे एवं लोकोक्ति में क्या अंतर है,

लोकोक्तियाँ किसे कहते हैं,

लोकोक्तियाँ किसे कहते हैं, वह वाक्य जो अपने सामान्य अर्थ को प्रकट करे उसे ‘लोकोत्ति या कहावत’ कहा जाता है कुछ उदहारण से इसको ऐसे समझेंगे

1. अन्त बुरे का बुरा (बुराई का परिणाम बुरा होता है) – राम श्याम को फंसना चाहता था, परन्तु स्वयं फंस गया, सच है कि अन्त बुरे का बुरा |

2. अन्धी पीसे कुता खाये (मेहनत कोई और करे लाभ दूसरा उठाये) – सारी उम्र मोहन ने मेहनत किया लेकिन मौज उसके सम्बन्धी कर रहे है| किसी ने ठीक ही कहा है. कि अन्धी पीसे कुत्ता खाए|

3. अन्धो में काना राजा (अशिक्षितों में अल्प शिक्षित भी आदर पता है) – इस गाँव में पटवारी का इतना आदर होता है. उतना किसी मंत्री का भी नहीं होता है| सच में वो तो अन्धो में काना राजा है|

4. अक्ल बड़ी या भैंस (बल से बुद्धि बड़ी होती है) – हाथी जैसे ताकतवर जानवर को भी मनुष्य अपने बुद्धि से वश में कर लेता है| बताओ अक्ल बड़ी या भैंस

5. अधजल गगरी चालकत जाये (ओछे आदमी आडम्बर बहुत करते है) – कम पढ़े लिखे व्यक्ति अभिमान बहुत करते है| अंग्रेजी के दो शब्द पढ़ कर कृष्ण को अभिमान हो गया इसे कहते है. अधजल गगरी छलकत जाये|

6. अपनी अपनी डफली अपना अपना राग अलापना (एकता से कार्य न करना) – जो निर्णय एक घंटे में हो जाता वह एक महीने में भी नहीं होगा, क्योंकि यहाँ तो अपने अपने डफली और अपना अपना राग अलाप रहे है|

7. अपनी करनी पार उतरनी (स्वयं कार्य करने से सफलता मिलती है) – तुम दुसरो के भरोसे रहते हो क्या तुम्हे पता नहीं अपनी करनी पार उतरनी?

8. अपनी पगड़ी अपने हाथ (अपनी प्रतिष्ठा बनाना अथवा बिगड़ना मनुष्य के अपने अधीन होता है) – आज तक तुम्हे बड़ा समझ कर मैंने कुछ नहीं कहा, यदि अब बोलोगे तो याद रखना अपनी पगड़ी अपने हाथ होती है|

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