लाला लाजपत राय पर निबंध हिंदी में

लाला लाजपत राय पर निबंध, भारत के इस अनमोल रत्न का जन्म 28 फरवरी 1865 को श्री राधाकृष्ण जी के सुगृह में हुआ| आप ने L.L.B तक की सभी परीक्षाएं सफलतापूर्वक उतीर्ण की| आरम्भ में ही लाला जी बड़े नम्र, समाज-सेवक तथा धर्म सुधारक थे| आपका जीवन भी लोक सेवक तथा शिक्षा प्रसारक के रूप में आरम्भ हुआ| D.A.V कॉलेज के संस्थापको में महात्मा हंसराज के बाद लाला लाजपत राय का ही नाम आता है| सार्वजानिक कार्य की दृष्टि से वह स्वयं ही एक जीती जगती संस्था थे|

1905 में लार्ड कर्जन भारत के गवर्नर जनरल बन कर आये| बंगाल के दो टुकड़े कर दिए गए| बंग भंग आन्दोलन ने बल पकड़ा| फलस्वरूप भारत में जागृति आ गयी| पंजाब में भी नहरी पानी के प्रशन पर किसानो में चेतना जगी तो पंजाब के तत्कालीन नेता लाला लाजपतराय ने उनका नेतृत्व किया और “पगड़ी संभाल ओ जट्टा” के सिंहनाद से चारो और क्रांति उत्पन कर दी, जिसके कारण सरकार ने विद्रोह का अभियोग लगा कर लाला लाजपत राय को निर्वासित कर दिया| आप ने हिन्दू जाति की भी महान सेवा की| लोक सेवा संग के संस्थापक थे| पंजाब-प्रांत के तो  लाला लाजपत राय प्राण थे| उसकी उन्नति का सेहरा इसके के सिर पर ही है| स्वराज्य दल की और से इसको धरा सभा के सदस्य चुने गए| परन्तु 1927 में वह  पुनः कांग्रेस में शामिल हो गए|

लाला जी की वाणी में जादू था| वे उच्चकोटि के वक्ता ही न थे, बल्कि कुशल लेखक भी थे| इसने  मिस मियु की “मदर इण्डिया” पुस्तक का मुँह तोड़ उतर “दुखी भारत” रचना से दिया| इसके अतरिक्त इस ने शिवाजी, कृष्ण, बन्दा बैरागी, स्वामी दयानन्द आदि अनेक पुस्तक लिखकर साहित्य की सेवा की| यह दयानन्द को अपना धर्म पिता तथा आर्य समाज को अपनी माता मानते थे|

30 अक्टूबर 1928 को जब साइमन कमीशन लाहौर पहुँचा तो जनता ने उसके विरुद्ध प्रदर्शन किया और लाल जी पर लाट्ठी प्रहार हुआ| लाला जी राष्ट्रीय-ध्वज को थामे सबसे आगे नेतृत्व कर रहे थे| साइमन वापिस लाओ के जयकार से चिढ कर पुलिस लाट्ठी चलाई| एक अंग्रेज सार्जेट ने लाला जी पर लाट्ठी से प्रहार किया| लाला जी के  सिर और छाती पर चोंटे लगी और 18 नवम्बर 1928 को प्रातः काल वे पंजाब को ही नहीं, पुरे भारत को बिलखता छोड़कर इस संसार से चले गए|

लाला जी का जीवन देश-जाति, सेवा, अच्छुतोद्वार, साहित्य-सेवा से ओत-प्रोत था| आप ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए जीवन का बड़ा भाग मांण्डले आदि जेलों में काटा| पंजाब को आप पर गर्व है| पंजाब वासी लाला लाजपत राय को “पंजाब केसरी” के नाम से अब भी याद करते है|

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