यहूदी धर्म की पवित्र पुस्तक क्या है | यहूदी धर्म के भगवान कौन है

यहूदी धर्म | Judaism

प्राचीन काल में प्राचीन एशिया में दो प्रमुख धर्मो का उदय हुआ| इन दोनों धर्मो ने विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|  इन धर्मो में एक यहूदी धर्म और दूसरा ईसाई धर्म था| यहूदी धर्म यहूदियों अथवा हिब्रू लोगो का धर्म है| वे लोग एक देवता के रूप में यहेवा या जेहोवा को अपना भगवान मानते है| यहूदियों का विश्वास है कि स्वयं भगवान ने मूसा नामक व्यक्ति के माध्यम से दस उपदेश दिए थे|

यहूदी धर्म के उपदेश

यहूदी धर्म के उपदेश में एक ईश्वर में आस्था प्रकट की गयी है| हिब्रू लोग अपने आप को विशिष्ट प्रजा कहते है| उनके जीवन को निर्देशित करने वाले नियमो के प्रति भी इन उपदेशो में आस्था प्रकट की गयी है|

यहूदी धर्म के सिद्धांत

इस धर्म  का निर्माण अनेक प्राचीन सभ्यताओ के प्रभाव में हुआ है| यह  धर्म की बुनयादी शिक्षा एक ईश्वर में विश्वास है| और  ईश्वर यहेवा है| यहेवा अपनी प्रजा से प्रेम करता है| किन्तु जब वे कुमार्ग पर चलते है तो उन्हें सजा देता है| यहूदियों के कुछ पिछले पैगम्बर का कहना था कि ईश्वर मानवमात्र से प्रेम करता है और जो मनुष्य अपने बुरे कर्मो के लिए पश्चाताप करता है उसे ईश्वर माफ कर देता है| इस  धर्म में न्याय, दया और विनम्रता की शिक्षा देता है| इस  को मानने वाले लोगो का विश्वास है कि पापियों को पवित्र करने और संसार को पांप और दुष्टता से छुटकारा दिलाने के लिए मसीहा एक दिन धरती पर जरुर आयेगा| यहूदियों को विश्वास है कि मसीह का अभी तक जन्म नहीं हुआ है|

यहूदी धर्म कब शुरू हुआ

इस  धर्म का जन्म, विकास और प्रसार फिलिस्तीन में हुआ था| इस धर्म का उदय फिलिस्तीन की राजधानी जरुसलम में हुआ था| आज भी यह धर्म वहाँ पर जीवित है| फिलिस्तीन 70 ई में रोमन साम्राज्य का एक प्रदेश बन गया| इस काल- अवधि में यहूदियों ने फिलिस्तीन छोड़ दिया और संसार के विभिन्न भागो में जा बसे| उनके साथ उनका यह  धर्म भी गया|

यहूदी धर्म का महत्व

किसी भी धर्म की उत्पति विशेष परिस्थिति और विशेष कारणों से होती है| जा नैतिकता, भ्रष्टाचार और अंधविश्वास अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है तब तत्कालीन धर्म में लोगो की आस्था नहीं रहती है| तब जन समुदाय एक ऐसे धर्म की खोज करने लगता है जो उसे चरित्र निर्माण की शिक्षा दे| ऐसे ही समय में यह धर्म  का उदय फिलिस्तीन में हुआ| इस धर्म ने यहूदियों को एकता के सूत्र में बाँधा और उनमे नैतिकता का विकास हुआ|

यहूदी धर्म का पवित्र ग्रंथ

यहूदियों का दो पवित्र ग्रंथ है| “ओल्ड टेस्टामेंट” और “ऐपो कूफा” | इन पुस्तकों में यहूदियों का इतिहास है| और वह धार्मिक नैतिक नियमवाली है जिनका उन्हें पालन करना है| इन्म्र पुराण, आख्यान तथा कविताएँ है| इन ग्रंथो में चिकित्सा और ज्योतिष की बाते भी है| यह पुस्तक यहूदियों के लिए पूज्य है|

यहूदी धर्म की पवित्र पुस्तक का नाम तोरह (Torah) है, और इस  धर्म का पूजा स्थल सिनेनंग है|

लेखक

डॉ॰प्रभुनाथ

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