महात्मा गांधी के बारे में निबंध हिंदी में

महात्मा गांधी के बारे में निबंध

महात्मा गांधी के बारे में निबंध, महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई. को गुजरातके पोरबंदर ग्राम में करमचन्द गाँधी के घर हुआ| आप का बचपन का नाम मोहन दस था| उनके पिता राजकोट के दीवान थे|

घर के धार्मिक वातावरण का गाँधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा, इसी कारण वह प्रत्येक कार्य में धर्म की पवित्रता से अलग न रह सके| प्राम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद उसे इंग्लैंड भेजा गया| विदेश जाते समय माता से प्रण किया कि मै विदेश जा कर माँस और मदिरा सेवन नहीं करूँगा| जिस पर वह आजीवन दृढ रहे| बैरिस्ट्री पास करने के बाद भारत लौट| मुंबई में अपना कार्य आरम्भ किया| फिर अब्दुला एण्ड कंपनी के मुक़दमे की पैरवी करने के लिए अफ्रीका जाना पड़ा| वहाँ भारतीय की दुर्दशा को देखकर उसे बहुत दुःख हुआ| वहाँ उसको कदम-कदम पर अपमान का सामना करना पड़ा| फलस्वरूप उसने भारतीयों के संगठन हेतु नेटाल कांग्रेस के सत्यग्रह के अमोल शस्त्र से विजय प्राप्त की और अपने अधिकार प्राप्त किये|

दक्षिण अफ्रीका के विजयी सेनानी जब भारत आया तो स्वदेश वासियों की दुर्दशा को सहन न कर सका और राष्ट्रीय महासभा कांग्रेस के नेताओ से मिलकर देश को आजाद कराने में जी जान से जुट गया| लोकमान्य तिलक जी का अमर जयघोष कि “स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार” का पवित्र सन्देश भारत के कोने-कोने में फैला कर जनता को नवजीवन प्रदान किया| आशाओ का गीत गया| अपने उदेश्य को सफल बनाने के लिए सत्यग्रह के शस्त्र का प्रयोग किया| असहयोग आन्दोलन चलाया जिससे भारतीय जनता को प्रेरणा मिली| 1930 में नमक कानून तोडा|

1942 में आन्दोलन के एक नविन क्रांति उत्पन्न की जब “अंग्रेज भारत छोड़ो” का प्रस्ताव पास कराया| सारांश यह की उसने देश की स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया| अंत में 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्रता हो गया| परन्तु जिस राज्य के सपने को साकार बनाने का प्रयत्न करते थे| उसको अधुरा छोड़कर एक धर्माध भारतीय युवक नाथू राम गोडसे की गोलियाँ का निशाना बन गए और 30 जनवरी 1948 को भारत के जन-जन को रोता छोड़ कर उस परम प्रभु की गोद में चले गए| यह ठीक है कि बापू जी शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं है

परन्तु उनकी आत्मा अब भी हमारा पथ प्रदर्शन कर रही है| उसने देश की स्वाधीनता के साथ सामाजिक क्रूरता, छुआ-छूत तथा छोटे-बड़े का भेद मिटा दिया| सत्य अहिंसा, प्रेम, समता तथा एकता का मार्ग ही जीवन की सफलता की कुंजी है| ग्रामोद्वर, खादी प्रचार तथा शिक्षा प्रसार में अपने पूर्ण शक्ति से कार्य किया|  आप सब धर्मो से समान प्यार करते थे| यही कारण है कि महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता के नाम से प्रत्येक भारतीय याद करता है|

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