बौद्ध धर्म क्या है | बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे

बौद्ध धर्म | Buddhism Religion

बौद्ध धर्म की उत्पति भारत में हुई है| परन्तु यह भारत में केवल एक प्रतिशत से भी कम है| इस धर्म की स्थापना शाक्य वंश के राजकुमार सिद्धार्थ ने की थी| इसके पिता का नाम सुदोधन था| जो नेपाल देश के कपिलवस्तु नामक एक छोटे से गणराज्य के राजा थे| इनकी माता का नाम महामाया था| जो बुद्ध  को जन्म देने के सांतवे दिन ही इसकी मृतु हो गई थी| उसके बाद इसका पालन पोषण इनकी सौतिली माँ प्रजापति गौतमी ने किया| इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था|

गौतम बौद का जन्म स्थानलुम्बनी , नेपाल
बौद धर्म के संस्थापकगौतम बौद
बुद का निर्वाण स्थलकुशीनगर ,उतर प्र्स्देश
बुद का ज्ञान प्राप्त स्थलबौद गया ( बिहार )
बुद के प्रथम धर्मोपदेश स्थलसारनाथ , बिहार
बुद का जन्म563 ई .पू
बचपन का नामसिद्धार्थ
बुद का मृत्यु स्थल80 वर्ष , देवरिया उतर प्रदेश

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक कौन थे

सिद्धार्थ का विवाह 16 साल के उम्र में यशोधरा नाम के राजकुमारी के साथ हुआ था| उससे राहुल नाम का एक बेटा भी पैदा हुआ था|  बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध  थे| और इन्हें light एशिया कहा जाता था| बुद्ध  का शाब्दिक अर्थ है, “प्रकशवन”  सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की उम्र में सांसारिक समस्या से दुखी होकर अपना गृह त्याग दिया था| जिसे बौद्ध  धर्म में इसे महाभिनिष्क्रमण कहा गया है| इसने बिना अन्न-जल ग्रहण किये 6 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की उम्र में वैशाख के पूर्णिमा की रात निरंजना फल्गु नदी के किनारे, पीपल के पेंड के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी| इस तरह ज्ञान प्राप्त के  बाद सिद्धार्थ को बुद्ध  के नाम से जाना जाने लगा|

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बौद्ध धर्म की विशेषताएं | बौद्ध धर्म के उदय के कारण

गौतम बुद्ध  एक व्यावहारिक धर्म-सुधारक थे| इसलिए इसके द्वरा निर्धारित बौद्ध  धर्म में जटिलता नहीं थी| इस धर्म में कोई दिखाऊ आयोजन नहीं था| इसलिय साधारण जनता इस धर्म से अधिक प्रभावित हुई| इस धर्म का प्रचार-प्रसार उस समय की जनभाषा में किया गया जिससे जन-साधारण उनकी बातो को आसानी से समझ सका| उन्होंने simple भाषा में और बहुत ही सीधे तरीको से लोगो के सामने अपने उपदेश को रखा| इस धर्म में किसी प्रकार की कट्टरता नहीं थी| इनमे ऊँच-नीच, छुआ- छुत आदि का कोई भेद-भाव नहीं था| इस धर्म में समाज के सभी व्यक्तियों का ध्यान रखा गया था|

बौद्ध धर्म की शिक्षा

इस धर्म में कहा गया है कि सभी व्यक्तियों को अपने माता-पिता के आज्ञा का पालन करना चाहिए, गुरुजनों के प्रति श्रदा रखनी चाहिए, सभी व्यक्तियों का आदर के साथ मान-सामान रखना चाहिए, सज्जन लोगो को दान देना चाहिए| प्रेम पूर्वक व्यवहार करना चाहिए, किसी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए| प्राणी के साथ अच्छे व्यवहार करना चाहिए आदि इस धर्म के कुछ उपदेश है| जो समाज के हर व्यक्ति के साथ सम्बन्ध है|

बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य | बौद्ध धर्म आर्य सत्य

इस धर्म ने चार आर्य सत्य का उपदेश दिया, जो इस प्रकार से है

  • इस संसार में दुःख है| “सर्वम दुःखम” बुद्ध  का मूल मंत्र था
  • इस दुःख का कारण है
  • यह कारण तृष्णा, इच्छा या वासना है|
  • वासना को नष्ट करके ही दुःख को दूर किया जा सकता है|

अतः दुःख, दुःख का कारण, दुःख का दमन तथा दुःख के दमन के उपाय, ये चार प्रमुख उपदेश है|

बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग

गौतम बुद्ध  ने दुःख से छुटकारा पाने के लिए मनुष्य को सदमार्ग पर चलने की सलाह दी है| जिसे उन्होंने आष्टांगिक मार्ग कहा है| इस आष्टांगिक मार्ग की कुछ बाते निम्नलिखित है|

  • सम्यक दृष्टि
  • सम्यक संकल्प
  • सम्यक वाक्
  • सम्यक कर्म
  • सम्यक अजीव
  • सम्यक व्यायाम
  • सम्यक स्मृति
  • सम्यक समाधि

गौतम बुद्ध  ने अहिंसा, सदाचार और त्याग पर सबसे ज्यादा जोर दिया| प्रेम, सत्य, उदारता, माता-पिता तथा गुरुजनों के प्रति श्रद्धा   मधपान-निषेध, करुना और दान उनके नैतिक उपदेशो में विशेष स्थान रखते थे| मन के शुद्धता  और नैतिक आचरण को उन्होंने जीवन की पवित्रता के लिए आवश्यक बतलाया| गौतम बुद्ध  ने अपने अनुसरण करने वालो के लिए एक आचार-विधान तैयार किया था| इस आचार विधान में इस नैतिक उपदेश का वर्णन है| इन्हें शील कहा जाता है| ये उपदेश कुछ इस प्रकार है|

  • अस्तेय
  • अहिंसा का पालन
  • मधपान निषेध
  • अपरिग्रह व्रत का पालन
  • असमय भोजन का त्याग
  • कोमल शय्या का त्याग
  • कामिनीकंचन का त्याग

इन पाँच उपदेश का पालन बुद्ध  ने गृहस्थ उपासको के लिए आवयशक बतलाया| बौद्ध  भीक्षुओ के लिए सभी उपदेशो के पालन से मनुष्य को शान्ति मिलेगी|

बौद्ध धर्म का इतिहास यहाँ पढ़े 

बौद्ध धर्म को मानने वाले कौन-कौन से देश हैं

इस धर्म का विस्तार भारत, श्रीलंका, वर्मा, पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, तिब्बत और चीन तथा वहाँ से कोरिया और जापान तक फैला हुआ था| चीन, वर्मा, जापान, तिब्बत आदि में यह जन-धर्म बन गया|

बौद्ध  धर्म का महत्त्व

इस  धर्म ने भारतीय इतिहास और संस्कृति में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है| इस धर्म ने लोगो के दैनिक जीवन में व्यापक बुराई को दूर करने का प्रयास किया एवं सामाजिक समानता स्थापित करने का प्रयास किया| बौद्ध  धर्म के कारण साहित्य और चिंतन के क्षेत्र में नव-जागरण आया| जो भारतीय कला भी इस धर्म से प्रभावित हुई| और विदेशो में भारतीय संस्कृति का प्रचार हुआ| इस धर्म ने समानता और जनतंत्र की भावना को बढ़ावा दिया| इस प्रकार हम देखते है के बौद धर्म की बहुत ही महत्त्व है|

बौद्ध धर्म का प्रमुख त्यौहार

इस धर्म का सबसे पवित्र त्यौहार वैशाख पूर्णिमा है| जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है| क्योंकि बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म एवं ज्ञान की प्राप्ति हुई थी|

निष्कर्ष 

हमने इस लेख के माध्यम से बौद्ध धर्म  के बारे में बताने का प्रयास किया है.मै आशा करता हु कि आपलोग भली – भांति समझ गए होंगे. इस लेख में कहीं भी कोई शब्द छुट गया है. तो हमे कमेंट जरुर करे, अगर ये लेख जारा सा भी अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों एवं सोशल मीडिया में जादा से जादा शेयर करे, धन्यवाद्

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