डॉ अब्दुल कलाम ने भारत को कैसे एक परमाणु सम्पन्न देश बनाया

डॉ अब्दुल कलाम

सपने वो नहीं है. जो नींद में आते हैं, सपने तो वह है| जो नींद आने नहीं देते हैं, इंतजार करने वालों को उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले पीछे छोड़ कर चले जाते हैं| उस मौला के बेटे जिसके एक कान में गीता के श्लोक गूंजते थे| तो दूसरे कानो में डार्विन के सिद्धांत,

नाव के तीर्थ यात्रियों को रामेश्वरम  मंदिर लेकर जाया करते थे| जब तीर्थ यात्री रामेश्वरम मंदिर की परिक्रमा करते थे, उतनी देर में ये फिजिक्स के सिधांत को पढ़ा करते थे| बिखरी जुल्फों वाले सिर्फ मेरे या आपके नहीं बल्कि पूरे देश के चहेते डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की बात करेंगे

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डॉ अब्दुल कलाम का पूरा नाम

एपीजे का पूरा नाम अवुल, पकिर, जैनुलाबदीन भारत के 11 वे राष्ट्रपति 2002 से लेकर 2007 तक जनवादी राष्ट्रपति|

एक बार की बात है| एक कांफ्रेंस में एक अंग्रेज ने पूछा, ये अब्दुल कलम कौन है| एक वाक्य में बताये, तो एक बच्चे ने जवाब दिया He is a simple indian जिसको हम Explain ही नहीं कर सकते|

संज्ञा की विशेषता को विशेषण बोलते है. लेकिन दुनिया के सारे विशेषण लगा तो भी इसके विशेषता को परिभाषित नहीं किया जा सकता है|

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार

एक बार किसी बच्चे ने उनसे पूछा सफल होने का क्या मन्त्र है. तो उन्होंने कहा 4 चीजे करनी है|

  • Great Aim
  • उस Aim के लिए सारे नॉलेज बढ़ाते जाओ
  • फिर करो हार्ड वर्क
  • जीवन में कभी हर मत मानो 

जीवन को ऐसे जियो की जीवन खत्म होने के बाद भी लोग जिंदगी भर आपको याद रखें|

डॉ अब्दुल कलाम का जन्म कब हुआ था | डॉ अब्दुल कलाम का जन्म कहाँ हुआ था

एपीजे अब्दुल कलाम 15  अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम के तमिलनाडु में एक गरीब मुसलमान परिवार में डॉ अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था| पेशे से उनके पिता नाविक थे, उनके पिता भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे,  इसलिए शुरू से उनको काफी तकलीफ हुई|

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम जीवन परिचय

एक बार कलस के अन्दर जो उनका एक दोस्त हुआ करता था| जो की मुख्य पुरोहित का  बेटा था, और मुख्य पुरोहित का बेटा जो राम दास शास्त्री अपने साथ में पहली बेंच पर बैठे देखकर तो मास्टर जी नाराज हो गए | ये मुसलमान लड़का, शास्त्री के  बेटे के साथ पहली बेंच में कैसे बैठा, मास्टर ने उसे पीछे बैठने को कहा और अब्दुल कलम चुप चाप पीछे जाकर बैठ गाये|

तब एपीजे अब्दुल कलाम ने इस घटना पर उसी दिन संकल्प लिया कि पीछे बैठकर ही मै दुनिया को बदलूंगा| और पीछे बैठना कोई मायने नहीं रखता इसलिए वो कहा करते थे, देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लास रूम के आखरी बेंच पर भी मिल सकता है|

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा

अब्दुल कलम का परिवार भी बहुत बड़ा था, 10 भाई बहन, तो जाहिर मुश्किलों का सामना तो करना पड़ेगा| तो वह अपना खर्चा निकालने के लिए छोटी उम्र में ही अखबार बेचना शुरू किया, उसने सोचा  पैसे तो मिलेंगे ही साथ ही  पूरे रस्ते अखबार भी पढ़ लूँगा और फिर चलते-चलते सारे अखबार को पढ़  जाया करते थे|

8 साल की उम्र में इनके गांव से कई किलोमीटर दूर एक मास्टर बहुत अच्छा गणित पढ़ाते थे, और कहते थे, सुबह के 4 बजे 1 घंटे की कलस फ्री, लेकिन मै उसी बच्चे को पढ़ाउंगा जो सुबह 4 बजे आयेगा| तो सुबह 3:00 बजे उठकर तैयार होकर ठंडे पानी से किसी भी मौसम में सर्दी हो बारिश हो गया तूफान सुबह  4:00 बजे पहुंचा करते थे| तो उनके यहाँ पर उस समय लालटेन होती थी, जो  केरोसीन से चलने वाली उसमे भी 7:00 से 9:00 केवल 2 घंटे ही जलाया जाता था|

लेकिन पिताजी और माताजी ने पढाई के मामले अब्दुल कलम को ज्यादा इंटरेस्ट देखा गया| इसके लिए माँ- बाप ने अपने लिए अँधेरे रखा, लेकिन अब्दुल कलम के लिए रात 11 बजे के लिए रोशनी उपलब्ध कराते थे| लेकिन अब्दुल कलम ने मेहनत से कभी डरे नहीं ईमानदारी से कभी हटे नहीं,  ना ही छोटा लक्ष्य देखा, छोटा लक्ष्य देखना पाप के समान है|

 डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का इतिहास

चिड़िया कैसे उड़ती है. इसको समझ में ही नहीं आता था|. फिर एक दिन अब्दुल कलम को समुद्र किनारे ले गया, क्योंकि उनका घर समुद्र के करीब था| फिर उसको अच्छे समझाया गया लेकिन, इसकी  इच्छाएं तो आकाश से भी आगे थी| वहीं से इसको एयरोनॉटिक्स समझ में आया,

और फिर हाई स्कूल रामनाथपुरम के एक्सपोर्ट हायर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया और एक दिन एक बार अपने स्कूल में गणित क्लास में पहुंच गए जैसे अन्दर घुसे टीचर ने चपत लगाई और बोले तुम्हारी क्लास कौन सी है|

तुम गलत क्लास में पहुंच गए हो, तुम क्या करोगे और क्या बढोगे, तब इन्होने इतनी पढ़ाई की मैथमेटिक्स में 100 के 100  नंबर लिया है, टीचर भी हैरान हो गाये बचपन से ही आसमान में उड़ने की इच्छा थी|

Abdul Kalam का M.I.T प्रवेश 

इसीलिए उन्होंने मद्रास की हाईएस्ट कॉलेज और देश का सबसे अच्छा कॉलेज M.I.T मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एरोनोटिक इंजीनियरिंग में दाखिला लिया कॉलेज में विमान के डिजाइन बनाने थे|

प्रोजेक्ट मिला और डिजाइन बनाने में लग गए और डिजाइन जो बनाया उसे टीचर को दिखाया| लेकिन  टीचर को पसंद नहीं आया और फिर टीचर बोले अब्दुल कलाम अगर तुम design नहीं बना सकते, तो तुम्हारी स्कॉलरशिप छिन जाएगी|

इनका दिमाग चकरा गया टीचर की ये बात सुन के पांव के नीचे जमीन खिसक गई, हजार रुपए बहन ने समान को गिरवी रखे के मुझे पैसे दिए थे.

तो इन्होने 1 महीने का समय माँगा लेकिन टीचर ने सिर्फ तीन दिन का समय दिया दिया इनका तो दिमाग हिल गया, उसके बाद उन्होंने 3 दिन यानि 72 घंटा जी जन से मेहनत करके डिजाइन बना लिया, और दिखाया तो प्रोफ़ेसर भी हैरान हो गए उनकी आंख में आंसू आ गए और बोले बहुत बढ़िया डिजाइन बनाया है|

नींद और निंदा पर जो विजय पा लेते हैं| उनको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है| इसके बाद m.i.t. की परीक्षा अच्छे नंबर से उन्होंने पास की पढ़ाई तो उनकी हो चुकी थी| अब्दुल कलम लड़ाकू विमान का पायलट बनना चाहते थे, उस समय वायुसेना के 8 पद थे| जिसमे इसकी रैंक 9वा स्थान था, एक नंबर से पीछे रह गए, जिसके चलते वायुसेना में सेलेक्ट नहीं हो पाए|

फिर ऋषिकेश गाये वहां स्वामी शिवानंद से मिला उसको अपनी सारी बाते बताई तो उन्होंने कहा जो तुमने सोचा है| वह होगा तुम विश्वास रखो, क्योंकि उसे वह अपने गुरु की तरह मानते थे|

अब्दुल कलम ने M.I.T से पढाई पूरी करने के बाद 1960 में डीआरडीओ के सदस्य बने और एक छोटी सी होवरक्राप्ट का design बनाकर अपने करियर की शुरुवात की लेकिन इससे वह खुश नहीं थे|

Abdul Kalam ka  नाशा में प्रवेश 

उसके बाद उस समय के वैज्ञानिक डॉक्टर विक्रम साराभाई की टीम में आ गए थे| 1963 में विक्रम साराभाई ने अब्दुल कलम को 6 महीने के लिए नशा ट्रेंनिग के लिए भेजा गया| और ये वही दौर था, नयी भारत बनने के लिए फिर क्या था, अब्दुल कलम चल पड़े अमेरिका|

नशा से ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उसके सामने बहुत बड़ा चुनौती थी| ऑटो बायोग्राफी आत्मकथा में उन्होंने बताया कि एक बार के लिए इनके मन में भी विचार आया कि क्या मै यहाँ रुकूं या नहीं, वह बहुत चुनाव करना कठिन था| मालामाल होने के अवसर को गले लगाया जाए| यह फिर अपने भारत देश की लौट जाए|

लेकिन इसको अपने देश की सेवा करनी थी| इसलिए ये अपने वतन लौट आये| और तमाम उतर चढाव के वावजूद  इन्होंने पहला साउंडिंग रॉकेट 1963 में लांच किया था| ये अपने काम में इतना व्यस्त हो गाये की वो खुद अपने सगाई में भी नहीं पहुंचे|

1969 में जब इसरो के डायरेक्टर की कमान दी गई, जो 1969 से 1989 तक यानि 10 साल से इन्होंने जी जान से मेहनत किया, और  केवल 2 बार छुट्टी ली एक बार पिता के देहांत पर एक बार माता के मृत्यु पर बाकी दिन कोई संडे नहीं| 15 अगस्त 26 जनवरी तक नहीं,

10 साल के कठिन परिश्रम के बावजूद 1979 में इनका slv-3 सैटेलाइट लॉन्च फेल हो गया, इसके वावजूद इन्होने हर नहीं मानी| क्योंकि उस समय सारा देश दुनिया देख रही थी| 1 साल के बाद दोबारा जी जान से मेहनत किया और देखते ही देखते ये प्रोजेक्ट सफल लांच किया गया| और आखिर कर सफलता मिल ही गयी|

डॉ अब्दुल कलम की मिसाइल 

साल 1980 में रोहणी उपग्रह को पृथ्वी के कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित किया था| अब्दुल कलम ने 1970 के दशक में दो प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था| s.l.v की तकनीक से बैलिस्टिक मिसाइल को बनाने की मांग राखी, लेकिन केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसे अस्वीकार किया फिर भी इंद्रा गाँधी ने ऐसे शक्तियों को बनाने के लिए गुप्त तरीके से पैसे उपलब्ध कराये|

एपीजे अब्दुल कलाम की मिसाइल के नाम और इस तरह आगे चलकर हमे अग्नि जो एक माध्यम बैलास्टिक मिसाइल बनी थी| और इसके बाद  पृथ्वी, जो सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है| 1989 में जब अग्नि को सफलता पूर्वक लांच किया तब अमेरिका, चाइना, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस के बाद भारत देश ने 6वा स्थान पर अपना जगह बनाया|

 एपीजे अब्दुल कलाम आविष्कार

दुनिया भर के 200 देशो को पछाड़ कर अब्दुल कलम ने भारत देश को 6वा रैंक में लाकर खड़ा किया| इसके बाद 1993 में psl को भी सफल बनाया| ये सब अब्दुल कलम का ही देंन है| जो काम खर्च  में मंगल तक सफर तय किया 2014 में,

वो अब्दुल कलम ही थे, जिन्होंने 2017 में 104 सेटेलाइट एक राकेट से लांच किये| 1979 भारत को  कोई भी देश मदद नहीं करना चाहता था| और आज देखो दुसरे देश भारत से मदद मांगता है| ये अब्दुल कलम की देंन है. जो आज भी दुसरे देश कहते हमारा भी राकेट भेज दो|

 डॉ. अब्दुल कलाम को मिसाइल मैनक्यों कहा जाता है?

अब बारी आती परमाणु हथियार की तो साल 1993 से लेकर 97 तक ऐसा तैयारी किया गया की किसी दुसरे देशो पता भी नहीं चल पाया| और साल 1998 में भारत ने ऑपरेशन शक्ति के नाम से परमाणु का परिक्षण किया आज इसी तरीका की वजह से भारत एक परमाणु देश बन गया| उस समय 5 परमाणु देश था, अमेरिका, रूस, चाइना, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम,

अब्दुल कलम कहते थे| सफल होने पर  टीम को क्रेडिट दे दूंगा  अगर बिफल हुआ तो सारा दोष अपने उपर लूँगा

जब उन्होंने अटल बिहारी से हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा तो अटल ने उससे उससे  हाथ नहीं मिलाए अटल बिहारी बिहारी ने उसको  गले लगा लिया  इंदिरा गांधी मुस्कुराइए हुए कहती है| ध्यान रखना पहले हमारे देश के नागरिक हैं, और हमारे देश के महान साइंटिस्ट हैं|

एपीजे अब्दुल कलाम का विज्ञान में योगदान

1981 में पद्म भूषण अवार्ड दिया 82 में डीआरडीओ का डायरेक्टर बना दिया|  लेकिन वो इस पद से भी खुस नहीं थे, क्योंकि उस समय चीन और पाकिस्तान मिसाइल बना रहा था| और उन्हें देश की सुरक्षा खतरे में नजर आ रही थी|

उस दौरान के कमाल की बात देखो उन्होंने महाभारत को पढना शुरू किया और महाभारत में बर्बरीक की कहानी सामने आई थी| उससे बड़े प्रभावित हुए बर्बरीक कहते थे, मेरे पास 3 तीर  है, पहले तीर में सब को प्रोटेक्ट कर लेंगे किस-किस को प्रोटेक्ट करना है| दूसरे में किस-किस को अटैक करना है| तीसरी तीर में खेल ख़त्म|

अब्दुल कलम ने जब गाइडेड मिसाइल प्रोग्राम बनाने का फैसला किया कि क्यों न एक ऐसा मिसाइल बनाया जाया, जो आदमी अगर दाहिने और जायेगा तो मिसाइल भी उसी दिशा में जायेगा, बायीं और मिसाइल भी उसी दिशा में उन्होंने एक इंटरव्यू में ये भी कहा था|

भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र रिमोट कंट्रोल्ड होता है, जब चाहे मर के फिर वापस आ जाए इसके बाद इन्होने एन्टीग्रेडेड गाइडेड मिसाइल बनाना शुरू की एक के बाद एक मिसाइल की झाड़ियाँ लगा दी|

इसके अलावा चाइना पाकिस्तान को परमाणु हथियार देता था| जिससे भारत के लिए एक खतरा था| इसके लगातार प्रयास के चलते 1997 में अब्दुल कलम को भारत रत्न दिया गया| और 1999 वो रिटायर्ड हो गाये|

राष्ट्रपति बनने का समय

साल 2002 में जब राष्ट्रपति का चुनाव आया तो इसमें कुछ लोगो का नाम रेस में था| लेकिन उस समय अटल बिहारी ने अब्दुल कलम को राष्ट्रपति के लिए सेलेक्ट किया| उस समय दो लोग आमने सामने थे| एक तरफ स्वतंत्र अब्दुल कलम तो दूसरी तरफ लक्ष्मी सहगल जो वाम मोर्चा से गठबंधन थी|

इसमें अब्दुल कलम को 922884 वोट मिले थे| जिसमे भारी बहुमत से जीत हासिल की थी| वही लक्ष्मी सहगल को कुल 107366 वोट मिले थे| 15 जुलाई 2002 को आयोजित किया गया और 18 जुलाई 2002 को परिणाम घोषित किया गया था|

अब्दुल कलम देश का 11वा राष्ट्रपति बने थे| जिसका कार्यकाल 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक थी| राष्ट्रपति ज्वाइन के बाद लोग उसे पीपुल्स प्रेसिडेंट के नाम जाना जाने लगा|

अब्दुल कलम ने अपने कार्यकाल में 21 दया याचिका में से 20 का फैसला करने में उसकी निष्क्रियता के लिए आलोचना किया गया था| अब्दुल कलम ने अपने 5 साल के कार्यकाल में केवल सिर्फ एक दया याचिका पर काम किया था|

वो था बलात्कारी धनंजय चटर्जी जिसकी दया याचिका को ख़ारिज किया गया था| उसके बाद उसे फाँसी दी गयी थी| इसके बाद बिहार में 2005 में राष्ट्रपति शासन भी लगाया था|

2012 में अब्दुल कलम को फिर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए तैयार किया लेकिन कुछ दलों ने खुलकर समर्थन नहीं किया जिसके चलते इन्होने राष्ट्रपति चुनाव के लिए इंकार कर दिया था| इसके बाद प्रतिभा पाटिल को बतौर राष्ट्रपति चुना गया|

अब्दुल कलम राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद कई नमी और बड़े टेक्निकल कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में कार्य  किया, नयी पीढ़ी को आगे लाने का काम किया| कई अनुसंधान संसथान में बतौर सहायक के रूप में भी काम किया|

एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यु कब हुई

अब्दुल कलम की मौत 27 जुलाई 2015 हुई जब वह भारतीय संसथान शिलोंग में लेक्चर देने गया था| शाम के 6 बजकर 30 मिनट में अपने लेक्चर के 5 मिनट में ही उसे दिल का दौरा हुआ और वे नीचे गिर पड़े|

गंभीर हालत में उसे बेथानी हॉस्पिटल ले जाया गया| लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका| अन्त में डॉक्टर ने 7:45 में मौत की पुष्टि कर दी| उसके मृतक शारीर को वायुसेना के हेलोकोप्टर से नई दिल्ली लाया गया|

उसके बाद राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और सेना के तीनो टुकड़ी के जवान ने उनका स्वागत किया| 30 जुलाई को पुरे राष्ट्रीय सामान के साथ रामेशवरम के पेई  कुरुम्बू मैदान में दफनाया गया था|

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अवार्ड

अब्दुल कलम को बहुत सारे अवार्ड दिया गया है| उनमे से 1981 में पदम् भूषण, और 1990 में उसे पदम् विभूषण जो इसरो और डीआरडीओ के काम और सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में सम्मानित किया गया था|

एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न कब मिला

1997 में भारत रत्न विज्ञानं अनुसंधान और आधुनिकरण में योगदान के लिए सम्मानित किया गया|

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