जलमंडल किसे कहते हैं. हमारे जीवन में जलमंडल का महत्व क्या है

जलमंडल किसे कहते हैं

जलमंडल का अर्थ जलमंडल से हमारा तात्पर्य जल की उस परत से है. जो पृथ्वी की सतह पर सागर, महासागर, झील, नदियाँ तथा दुसरे जलाशय के रूप में फैली है. हमारी पृथ्वी की सतह  सम्पूर्ण के सम्पूर्ण क्षेत्रफल के 71% भाग में जल का विस्तार पाया जाता है. सौरमंडल के ग्रहो में एकमात्र पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है. जिसमे जल पाया जाता है. इसलिए पृथ्वी को जलीय ग्रह भी कहा जाता है.

जलमंडल की संरचना

पृथ्वी के दक्षिण गोलार्द में जलमंडल का विस्तार अधिक है. दक्षिणी गोलार्द का लगभग 88% भाग जल से ढाका हुआ है. जबकि  उतरी गोलार्द 52% भाग ही जल से ढाका हुआ है. इसलिए दक्षिणी गोलार्द को जल गोलार्द भी कहा जाता है. जलमंडल की औसत गहराई लगभग 3.4 किलोमीटर है.

पृथ्वी पर जितना जल उपलब्ध है. उसका 97% भाग महासागरों में है. इसमें 2% भाग बर्फ की चादरों के रूप में जमा है. और 1% से कम भाग ताजे जल के रूप में है. जो धरातल के नीचे भूमिगत जल के रूप में भी मिलता है. जलमंडल में जल का कुल आयतन लगभग एक अरब पच्चीस करोड़ घन किलोमीटर है. सम्पूर्ण विश्व में महासागरीय नितलों को सम्मिलित करते हुए यदि भुपर्पटी को समतल कर दिया जाए तो संसार 3650 मीटर गहरे जल में डूब जायेगा.

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जल का वाष्पीकरण 

जलमंडल में भी जल का परिसंचरण होता है. सूर्य की किरणों से महासागरों और झीलों आदि का जल गर्म होकर वाष्प में बदलते रहता है. जल को वाष्प में बदलने कि प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते है. वाष्पीकरण के द्वारा जल वायुमंडल की निचली परतों में पहुँचता रहता है. जलमंडल से ही वायुमंडल को आर्द्रता प्राप्त होती है. जो बादलों का निर्माण और वर्षा होना जलमंडल पर ही मुख्य रूप से निर्भर है. आर्द्रवायु संघनित होकर वर्षण करती है. जो नदियों द्वारा जल पुनः समुद्र में लौट आता है. और वायुमंडल एवं स्थलमंडल से होकर से होकर जलमंडल के जल का संचरण जल चक्र कहलाता है. इससे  पृथ्वी पर जल का आयतन घट नहीं पता, पर उनका रूप बदलता रहता है.

सागरों में जल कभी स्थिर नहीं रहता है. वायुमंडल कि तरह ही इसमें भी गति उत्पन्न होती है. समुद्री लहरें, ज्वारभाटा, समुद्री धाराएँ जलमंडल की तीन गतियाँ मानी गयी है. लहरों को उत्पन्न करने में पवन का योगदान रहता है. जो कभी-कभी तेज भूसंचलन से भी ऊँची लहरें उत्पन्न हो जाती है. जैसे – सुनामी

ज्वारभाटा को उत्पन्न करने में चंद्रमा और सूर्य की आकर्षणशक्ति का जबदस्त हाथ होता है. जलधाराएँ स्थायी पवनों के प्रभाव में आकार और पृथ्वी कि घूर्णन गति से प्रभावित होकर उत्पन्न हुआ करती है. इन सबका हमारे जीवन पर, और हमारे वातावरण पर प्रभाव पड़ता है.

जलमंडल का महत्व

जलमंडल का महत्त्व इस दृष्टी से महत्वपूर्ण है. कि यह हमारी जलवायु को सम रखता है. यह असंख्य जीव-जंतुओ का निवास स्थल है. मछलियों का झुंड यहीं मिलता है. जिन्हें हम अपने आहार में शामिल करते है. मूँगे-मोती के खजाने सागरों में ही मिलते है. और अब तो समुद्र की सतह से खनिज तेल भी निकला जाने लगा है. और ज्वारभाटा से कहीं-कहीं जल विधुत भी उत्पन्न की जाती है. यातायात के सस्ते साधन के रूप में महासागरो पर न जाने कितना ही व्यस्त जलमार्ग बनाए गए है. जैसे – उतर अटलांटिका व्यापारिक मार्ग और स्वेज नहर मार्ग| इन मार्गो से अंतरराष्ट्रीय व्यापर में मदद मिलती है.

जलमंडल कैसे बनता है

महासागर की ऊष्माधारक क्षमता बहुत अधिक है. जो ग्रीष्मकाल में भीषण ताप तथा शीतकाल की अत्यधिक ठण्ड को कुछ कम करते है. लेकिन पृथ्वी के धरातल पर पहुँचने वाले सूर्यताप के चौथाई भाग का उपयोग महासागरीय जल के वाष्पीकरण में हो जाता है.

प्रत्येक वर्ष लगभग 330000  घन किलोमीटर समुद्री जल वाष्प रूप में वायुमंडल में पहुँचता है. और वर्षा के रूप में स्थल पर तथा समुद्र में वापस लौट आता है. इस प्रकार सूर्य, वायुमंडल, और जलमंडल मिलकर सम्मिलित रूप से मौसम को गतिशील बनाते है.

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निष्कर्ष 

हमने इस लेख के माध्यम से जलमंडल  के बारे में बताने का प्रयास किया है.मै आशा करता हु कि आपलोग भली – भांति समझ गए होंगे. इस लेख में कहीं भी कोई शब्द छुट गया है. तो हमे कमेंट जरुर करे, अगर ये लेख जारा सा भी अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों एवं सोशल मीडिया में जादा से जादा शेयर करे, धन्यवाद्

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