खूंटी जिला कब बना

खूंटी जिला 

खूंटी जिला झारखण्ड राज्य का 23वाँ जिला है. ये उन 24 जिलों मे से एक खूंटी जिला है, जो राँची जिला से अलग करके जिला का नवनिर्माण किया गया. यह जिला झारखण्ड की राजधानी राँची से लगभग 40 किलोमीटर की दुरी मे है. जो झारखण्ड राज्य के दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के दक्षिणी भाग के हिस्से मे आता है. इस जिला पर आदिवासी बहुल मुंडा जनजाति बड़ी लम्बे समय से निवेश करते आ रहे है. इस जिले का मुख्यालय खूंटी ही है.खूंटी जिला के उत्तर दिशा मे राँची जिला है. और दक्षिण भाग मे मुरहु, पश्चिम भाग मे कर्रा ब्लॉक तथा पूर्व की दिशा मे अड़की ब्लॉक है.

दुमका जिला के बारे में  यहाँ पढ़े

खूंटी जिला का आकड़ा

जिलाखूंटी
कुल जनसंख्या531885  जनगणना 2011
पुरुष जनसंख्या267525
महिला जनसंख्या264360
क्षेत्रफल2611 sq.km
भाषामुंडारी,नागपुरी,हिंदी
गाँव कि संख्या756
प्रखंड कि संख्या6
पंचायत कि संख्या86
थाना कि संख्या13
साक्षरता दर64.51%
पुरुष साक्षरता दर74.08%
महिला साक्षरता दर52.02%
पिन कोड835210
RTO CODEJH23
क्षेत्रीय भाषा मुंडारी
Official websiteKhunti.nic.in

 

 खूंटी जिला कब बना 

 12 सितम्बर 2007 को राँची जिला से अलग करके एक नए जिले का सृजन हुआ. जो पहले राँची जिले का हिस्सा था

खूंटी जिला मे कितने प्रखंड है?

 खूंटी जिला मे कुल मिलाकर 6 प्रखंड  और 86 पंचायत शामिल है.जिसमें से 756 गाँव भी आते है.ये 6 ब्लॉक इस प्रकार से है :-

  • रानियाँ
  • मुरहु
  • तोरपा
  • कर्रा
  • खूंटी
  • अड़की

 

खूंटी मे पर्यटन स्थल 

दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल खूंटी जिला मे बहुत से ऐसे आकर्षक पर्यटन स्थल है, जो देखने योग्य जगह है. इस जिले  पर्यटन स्थलों के लिए शुमार है.

अंगराबरीशिव मंदिर

जिला  का एक प्रसिद्ध धर्म स्थल है, जो ये एक शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है, जिसमें हिन्दू धर्म से जुड़े लोग इस शिव मंदिर मे पूजा-अर्चना के लिए आते है, जो हर सावन माह के प्रत्येक साल एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है. सावन माह मे पूजा-अर्चना के लिए उमड़ी भीड़ रहता है. महा शिव रात्रि के समय झारखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों मे अनेको शिष्यों इस मंदिर का दौरा करते है. ये अंगराबरी-शिव मंदिर खूंटी जिला मुख्यालय से करीब 9 किलोमीटर की दुरी खूंटी-तोरपा रोड मे अवस्थित है, और राँची राजधानी से लगभग 40 किलोमीटर की दुरी मे है.

मंदिर कि रचना 

अंगराबरी शिव मंदिर एक हिन्दू परिसर मंदिर है. जिसमें इस मंदिर को मूल रूप से आमरेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है. कुछ वर्षो बाद इस अंगराबरी-शिव मंदिर का नाम बदलकर श्रद्धेय हिन्दू सेर शांकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती रखा गया. इस मंदिर मे भगवान,शिव,राम और सीता हनुमान जी और गणेश जी के देवता बासते है, मंदिर के अंदर मे एक स्वयंभूशिव लिंग है. जिसका एक नियमित परम्परागात की तरह पूजा की जाती है. यह मंदिर एक शांत वातावरण और सुन्दरताओं मे स्थित है, मंदिर मे मुख्य शिवलिंग है, जो ऊपर से खुला ही है, पवित्र शिवलिंग के अगल-बगल मंदिर बनाने का प्रयास भी किया गया था, पर ये मुख्य शिव लिंग खुला बरगद के पेड़ के नीचे मे ही है.

पंचघाघ जलप्रपात 

पंचघाघ जलप्रपात झारखण्ड राज्य के खूंटी जिले मे है. जो यह पंचघाघ वास्तव मे पाँच अलग-अलग जगहों के झरनों का जलप्रपात से मिलकर बना पंचघाघ है. जो पंचघाघ के अलग-अलग जगहों का प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाता है. इस पंचघाघ झरनों से बहने वाली पानी ज्यादा ऊँचाई से नहीं गिरती है. पंचघाघ जलप्रपात पुराने जमाने मे बनाई गई एक प्रसिद्ध नदी हुआ करती थी. जो कुछ ही वर्षो बाद यह बनाई नदी टूट कर एक पंचघाघ जलप्रपात के नाम से पुकारने लगा. जब जलप्रपात का सभी पाँच धाराएं चट्टानों के बीच मे टकराने लगती है. तब पानी का फुवाहरा ऊपर की और बिचलित होती है, पंचघाघ जलप्रपात मे जुलाई और अगस्त माह मे वहाँ का नज़ारा प्राकृतिक को ओर ताज़ा करती है, जिला मुख्यलाय खूंटी से लगभग 17 किलोमीटर की दुरी मे स्थित है.

पैरवाघाघ जलप्रपात 

यह जलप्रपात खूंटी जिला के तोरपा ब्लॉक के फटका पंचायत मे है. पैरवा का शाब्दिक अर्थ कबूतर होता है. और घाघ का शाब्दिक अर्थ घर होता है, यानि की कबूतर के घरों को पैरवाघाघ बोला जाता है. इस घाघ मे छाता नदी के अंदर बहुत सुंदर झरनों का जल गिरता है, जो देखने मे बहुत ही सौन्दर्य नज़र आता है. इसके अलग-बगल के रहने वाले गाँव के लोगो का कहना है. कि यहाँ पर कबूतर झारने के अंदर बास जाते थे. पैरवाघाघ कि दुरी खूंटी मुख्यालय से लगभग 44 किलोमीटर कि दुरी मे है.

रानी जलप्रपात 

रानी जलप्रपात खूंटी और तमाड़ के रोड मे स्थित है, यह जलप्रपात जो ताजना नदी मे ही है, रानी जलप्रपात जो नदियों कि जलस्तर को बढ़ने से धीमा करता है. राहत कि बात यह है, कि पानी का जलस्तर को बढ़ने की वजह धीरे होती है, रानी जलप्रपात का ढांचा ऊपर-नीचे होने के कारण से ऐसा होता है, जो जितने भी प्रयटक रानी जलप्रपात मे आते है. तो उनके लिए बहुत ही सुरक्षित माना जाता है.यह रानी जलप्रपात खूंटी मुख्यालय से करीब 16 km कि दुरी मे है.

डियर पार्क या बिरसा मृग पार्क

यह  एक ऐसी जगह है, जहाँ पर छुट्टियों का कुछ पल को बिताने के लिए जिंदगी को तारों ताज़ा कर देती है, बिरसा मृग बिहार मे बहुत सारे ऐसे जानवर मिलेंगे, जो मृग के अंदर उछाल-पूछाल करते रहते है. क्योंकि ये सभी जानवर अपनी जिंदगी के कुछ पल का आनंद लेते है..जब मृग बिहार मे उपस्थित हिरन का कुलांचे देखकर बड़ी आनंद आता है. इस पार्क मे बहुत ऐसे पेड़-पौधे मिलेंगे जो हरा-भरा प्राकृतिक कि सुंदरता को बढ़ाता है. यह मृग बिहार करीब 54 एकड़ जमीन मे फैला हुआ है. जिनमें 45 सांभर तथा 130 चित्तल देखने को मिलेंगे. इस मृग बिहार के अंदर चिल्ड्रेन पार्क भी बनाया गया है. यह मृग बिहार को 1987 मे बनाया गया है, जो खूंटी जिला के कालामट्टी मे है. खूंटी के मुख्य जगह से लगभग 13 किलोमीटर कि दुरी मे है.

डोम्बारी बुरु 

डोम्बारी बुरु (पहाड़ी) खूंटी जिले के अड़की प्रखंड मे है, यह बुरु डोम्बारी उलीहातु के नजदीक एक जानेमाने सुरम्य पहाड़ है. जो जालियावाला बाग हथियाकांड मे सन 9 जनवरी 1899 को जब बिरसा मुंडा अंग्रेजो के खिलाफ लोगो के बीच मे अपना उलगुलान 122 साल पहले फुक चुके थे. तभी डोम्बारी बुरु मे अंग्रेजों न चारों तरफ से निर्दोष लोगो को घेर कर उन पर गोलियां बरसाने लगे, तब से डोम्बारी बुरु मे खून से लाल हो गया. डोम्बारी बुरु राँची से लगभग 54 किलोमीटर मे है.

उलीहातु

ये उलीहातु नामक गाँव खूंटी जिला के अड़की ब्लॉक मे है. जहाँ पर भगवान बिरसा मुंडा का जन्म स्थान है, जिनको हम सभी लोग “धरती आबा ”के नाम से पुकारते है, उलीहातु गाँव के चारों तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ है, पहाड़ों से घिरने के कारण उसके अगल-बगल प्राकृतिक को अच्छे से दर्शाता है. इस गाँव मे वीर बिरसा मुंडा महान स्वंत्रता सेनानी का जन्म 15 नवंबर1875 को हुआ था. उलीहातु नामक गांव खूंटी से लगभग 38 किलोमीटर कि दुरी मे है.

जेलचर्च सर्वदा 

जेल चर्च सर्वदा खूंटी के मुरहु ब्लॉक मे स्थित है. जो कि खूंटी जिला से 24 किलोमीटर कि दूर मे है,य ह चर्च जर्मन के रहने वाले एक व्यक्ति जिसका नाम जॉन बेटिप्टस्ट हाफमैन ने बनावाया था. जिसका जन्म 21 जून 1857 को हुआ था और उनकी मृत्यु 18 नवंबर 1928 को हुआ. इस चर्च के अगल बगल मे एक छोटा-सा जंगल है. इस चर्च को ब्रिटिश समय के दौरान बनाया गया था. इसका ढांचा और डिज़ाइनिग बहुत ही सुंदर किया गया है.

खूंटी मे स्कूल और कॉलेज

जिला  मे शिक्षा संस्थान कुछ सरकारी है तो कुछ गैर सरकारी स्कूल और कॉलेज है.

उरसूलाइन कंवेंट गर्ल्स हाई स्कूल खूंटी 

यह स्कूल  खूंटी जिला मे स्थित है. ये उरसूलाइन स्कूल 1949 मे बनाया गया था. जो एक प्राइवेट स्कूल है. इस स्कूल का संचालन हिंदी मेडियम से कि जाती है. यहाँ पर शैक्षणिक सत्र अप्रैल से लेकर मई माह के बीच मे शुरू होती है. इसका खुद का निजी भवन है, और स्कूल के चारों ओर पक्की बाउंड्री वॉल किया गया.इस स्कूल मे 6 कक्षा से शुरू होती है.बनाया गया है. विधालय मे बिजली,पानी का भी व्यवस्था है.लड़कियों के लिए अलग से शौचालय भी बनाया गया है. स्कूल मे इंडोर और आउटडोर खेल का भी प्रवधान किया गया है. ताकि यहाँ के सभी विधार्थी अपनी खेल का प्रतिभा देखाकर आगे ओर बढ़े. स्कूल के अंदर अच्छा खासा लाइब्रेरी भी है. जिसमें से 4050 पुस्तकालय भी उपलब्ध है. इसके साथ-साथ कंप्यूटर एडेड लैब का भी सुनिश्चित किया गया है.

गर्ल्स हाई स्कूल खूंटी 

गर्ल्स हाई स्कूल खूंटी जिला के खूंटी ब्लॉक मे स्थित है.जो 1977 मे स्थापना किया गया है.यह गर्ल्स हाई स्कूल शहरी क्षेत्र मे है.इस स्कूल का प्रबंधन झारखण्ड सरकार के शिक्षा विभाग से नियमित रूप से चलाते है.इस गर्ल्स स्कूल मे कक्षा 9वीं से 10वीं तक कि पढ़ाई होती है.जो कि पूरी तरह से हिंदी मेडियम मे है.प्रवेश लेने के लिए अप्रैल-मई मे दाखिला लिया जाता है. स्कूल के चारों और चारदिवारी बनाई गई है.यह स्कूल एक सरकारी स्कूल भवन है,जिसमें बिजली,पीने का पानी को भी पूरी तरह से उत्तम प्रबंध किया गया है.कैंपस के अंदर मे ही लड़कियों के लिए शौचालय भी बनाया गया.साथ मे लाइब्रेरी का भी सुविधा प्रबंध है.जिसमें पुस्तकों कि संख्या लगभग 250 पुस्तके अलग-अलग विषय मे है.

बिरसा कॉलेज खूंटी 

खूंटी जिला मे कॉलेजस कि बात किया जाय तो बिरसा कॉलेज खूंटी बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है.जो राँची यूनिवर्सिटी से सीधे मान्यता प्राप्त है,यह कॉलेज को 1961 मे स्थापना किया था.जो कि 32 एकड़ जगह मे फैला हुआ है,जिसमें साइंस बिल्डिंग,कॉमन कमरा, छात्रवास,खेल-कूद इत्यादि का सुविधा भी मुहैया कराया गया है.

स्वास्थ सेवा 

खूंटी मे कोई ऐसी बड़ी अस्पताल तो नहीं है,झारखण्ड सरकार ने इलाज के लिए सदर अस्पताल भी बनाया गया है.जो खूंटी जिला के निवासी के लिए सुविधा उपलब्ध है,इसके अलावे कई छोटे-बड़े नर्सिंग होम भी है.

खूंटी का जलवायु 

जलवायु साल भार तो ऐसे साफ-सुथरा और शुष्क उष्ण कटीबँधीय अधिकतर रहता है,क्योंकि ज्यादातर मौसम के ऊपर निर्भर रहता है.गर्मी क मौसम मे अधिकतम तापमान 38°और निम्नतम 24° रहता है.

संस्कृति 

जिला मे ज्यादातार मुंडा जनजाति के लोग ही निवेश करते है. जिनको अंग्रेजों ने लम्बे समय से शोषण करते आ रहा है. जिसको शिक्षा साक्षरता से भी दूर रखा गया था. इसलिए मुंडा जनजाति के लोगो का साक्षरता दर कम है. जिनका संस्कृति सरहुल,सोहराई,करमा,मांगे, फागु आदि तरह के त्यौहार मनाते है.

भाषा एवं धर्म 

दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल खूंटी म भाषा मुंडारी,हिंदी,नागपुरी और आस्ट्रो एशियाटिक एक प्रमुख भाषा है,और मुंडा लोग स्थायी रूप से सरना धर्म मनाते है.

कृषि एवं सिंचाई परियोजना

जिला का अर्थव्यवस्था प्रमुख रुप से कृषि किए जाने वाले प्रमुख फसल धान,गेंहूँ,तिलहन,मक्का, दलहन, माडुवा और सब्जियाँ है,यहाँ पर कृषि के सिंचाई के लिए वैसे तो सिंचाई का कोई बड़ी साधन नहीं है,पर ज्यादातर वर्षा के ऊपर ही आश्रित रहता है.

खूंटी का मिट्टी 

जिला  में अधिकतर लाल मिट्टी पाई जाती है.

अर्थव्यवस्था

यहाँ पर बड़ी कारखाना न होने के कारण,खूंटी के लोग कृषि आधारित मे अपना को यापन करता है.क्योंकि बड़ी कंपनी नहीं होने के वजह से नौजवान लोग दूसरे राज्यों तथा जिला मे मजदूरी के लिए जाते है.

खूंटी मे रेलवे परिवहन 

रेल परिवहन यात्रियों को तथा माल पटरियों के सहारे एक जगह से दूसरे एक निश्चित जगह तक पहुँचता है.वैसे ही खूंटी मे रेल परिवहन का कोई सुविधा नहीं है. रेलवे कि सुविधा प्राप्त करने के लिए राँची जंक्शन और हटिया स्टेशन है.  जो खूंटी से 35 किलोमीटर मे है.

सड़क परिवहन सुविधा 

जिला  का सड़क परिवहन सीधे तौर पर राँची,गुमला, सिमडेगा जिला को जोड़ता है.

खूंटी का इतिहास


यह  एक ऐतिहासिक विद्रोह जगह है,जब 1875 मे बिरसा आंदोलन का मुख्य प्रसिद्ध स्थल था,उस दरमियान राँची जिला से 4 प्रशानिक अनुमंडल को बनाया गया था.सदर,गुमला (1902),खूंटी (1905)और सिमडेगा (1915) झारखण्ड के बीर बिरसा मुंडा क्रांतिकारी ब्रिटिश सरकार के खिलाफ दीर्घकाल तक संघर्ष के लिए इतिहास मे नामांकित है,खूंटी क्षेत्र मे कई प्रकार कि पेड़ कुसुम तथा बियर पेड़ो कि कई प्रजातियाँ है.

खूंटी मे प्राचीन सम्बन्ध

दक्षिणी छोटानागपुर मे मंजुडा लोगो का तौर-तरीका के मुताबिक छोटानागपुर के राजा को मदरा मुंडा के 8 बेटे होने के नाते मदरा मुंडा के बड़े बेटे राँची के दक्षिण दिशा मे चले गये और दूसरा खूंटकटी गाँव कि स्थापना किया जिसे बाद मे खूंटी नाम दिया गया.जब मुंडा जनजाति के लोग खूंटी गाँव के अड़ोस-पड़ोस गये तब वहाँ तिर्कीस और असुरस के कब्जे मे देश का कुछ हिस्सा था.उस समय जब मुंडा जनजाति लोग शक्ति से पेश आये तो तिर्कीस और असुरस बहुत ही डरे हुए महसूस किए थे.मुंडा जनजाति के महिलाएं चमकीला गहने पहनते थे.जो उस गहने का वजन बहुत ही वजनदार था.जिस समय मुंडास को सूरज मे चमकाते हुए अपने गहने के नजरिया से देखा गया तो असुरस भारत के पश्चिम दिशा कि ओर बासिया,परगना तथा नागरा चले गये.

धरती आबा बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा एक मुंडा जनजाति से सम्बन्ध रखते थे.जो कि खूंटी जिला के छोटानागपुर पठार के निवासी थे.बिरसा मुंडा को सन 1900ई. मे आदिवासी लोगो के संगठन को देखकर ब्रिटिश हुकूमत वाली सरकार ने बिरसा मुंडा को गिरप्तार कर लिया गया.क्योंकि बिरसा मुंडा ही आदिवासी संगठन को लीड कर रहे थे.गिरप्तार होने के बाद उन्हें 2 साल का सजा भी सुनाया गया.

खूंटी जिला के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

 झारखण्ड का खूंटी जिला क्षेत्रफल कि दृष्टि से कौनसा जिला है?

16 वाँ जिला है.

झारखण्ड का खूंटी जिला जनसंख्या कि दृष्टि से कौनसा जिला है?

23 वाँ जिला है.

खूंटी जिला मे कितना अनुमंडल है?

जिला मे एक ही अनुमंडल खूंटी है.

खूंटी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मे कितना विधानसभा है?

जिला मे कुल 2 निर्वाचित विधानसभा है

खूंटी

तोरपा

खूंटी जिला मे कुल कितना पंचायत है?

वर्तमान समय मे कुल 86 पंचायत है.

खूंटी जिला मे कितना थाना है?

जिला में  कुल 13 थाना है.

खूंटी जिला कि प्रमुख भाषाए क्याक्या है?

यहाँ का प्रमुख भाषाएँ मुंडारी,हिंदी,नागपुरी इत्यादि है.

खूंटी क्या है?

यह  एक जिला है,जो भारत देश के झारखण्ड राज्य मे स्थित झारखण्ड का 23 वाँ जिला है.जिसमें एक मुख्यालय के रूप मे परिभाषित किया गया है.जिस से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग 143 गुजरती है.

खूंटी जिला क्यों प्रसिद्ध है?

यहाँ  पाये जाने वाले कई तरह के प्रमुख खनिज़ पत्थर,ब्रिक कले और लाह उत्पादन है.जो खूंटी का मुख्य स्रोत मना जाता है.लाह उत्पादन मे खूंटी पूरी तरह से विख्यात है.जिसमें भारत देश के लिए लाह का हिस्सा बन गया.जिसे केरीरिया लक्का नामक एक छोटी-छोटी के माध्यम से बनाया जाता है.

निष्कर्ष 

हमने इस लेख के माध्यम से खूंटी जिला के बारे में बताने का प्रयास किया है.मै आशा करता हु कि आपलोग भली – भांति समझ गए होंगे. इस लेख में कहीं भी कोई शब्द छुट गया है. तो हमे कमेंट जरुर करे, अगर ये लेख जारा सा भी अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों एवं सोशल मीडिया में जादा से जादा शेयर करे, धन्यवाद्

 

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