क्रिया किसे कहते हैं
क्रिया किसे कहते हैं, जिस शब्द से किसी काम का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते है| जैसे – खाना, पीना, चलना, दौड़ना आदि| उदहारण के लिए कुछ शब्दों को लेते है|
रानी स्कूल जाती है
पक्षी आकाश में उड़ते है|
बच्चा सो रहा है|
ऊपर लिखे वाक्यों में ‘जाती है’, ‘उड़ते है’, ‘सो रहा है’, आदि शब्दों में किसी काम का करना या होना प्रकट होता है| इन्हें ही क्रिया कहते है|
नोट – क्रिया वाक्य का महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य अंग है| क्रिया के बिना वाक्य पूर्ण नहीं होता है| |
धातु – क्रिया के मूल रूप को धातु कहते है| जैसे – गा, पा, रो, पढ़, जा, खा, लिख, हंस, सो आदि|
क्रिया का सामान्य रूप – क्रिया के मूल रूप अर्थात धातु के साथ ‘ना’ जोड़ने से क्रिया का सामान्य रूप बनता है| जैसे –
गा + ना = गाना पढ + ना = पढना लिख + ना = लिखना | पा + ना = पाना जा + ना = जाना हँस + न = हँसना | रो + ना = रोना खा + ना = खाना सो + न = सोना |
क्रिया के भेद
कर्म की दृष्टि से क्रिया के दो भेद होते है
सकर्मक क्रिया – जिस क्रिया के व्यापर का फल कर्ता पर न पड़ कर केवल कर्म पर पड़ता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते है| जैसे –
बच्चे आम खाते है|
लड़के पुस्तक पढ़ते है|
बिल्ली दूध पीती है|
इन वाक्यों में खाते है, पढ़ते है और पीती है सकर्मक क्रियाएँ है| इनका फल ‘आम’, ‘पुस्तक’, और ‘दूध’ पर पड़ता है जोकि कर्म है|
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अकर्मक क्रिया – जिस क्रिया के व्यापर का फल कर्ता पर पड़ता है और जिसका कोई कर्म न हो वह अकर्मक क्रिया होती है| जैसे –
अनिल रोता है|
बच्चा सो रहा था|
सुनील हँस रहा है|
इन वाक्यों में रोता है, सो रहा था और हँस रहा है, अकर्मक क्रियाएँ है| इन क्रियाओ के व्यापर का फल ‘अनिल’, ‘बच्चा’, और ‘सुनील’ कर्ता शब्द पर ही पड़ता है|
सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया की पहचान |
वाक्य को पढ़ कर ‘क्या’ और ‘किसकी’ आदि शब्द लगाकर प्रश्न पूछने पर यदि इन प्रश्नों का उतर मिल जाये तो क्रिया सकर्मक होती है अन्यथा अकर्मक| जैसे –
पिता जी समाचार पत्र पढ़ते है|
प्रश्न करने पर – पिता जी क्या पढ़ते है?
उतर मिलता है – समाचार पत्र अतः इस वाक्य में क्रिया सकर्मक है|
कुता भौकता है| यहाँ ‘क्या’ प्रश्न का उतर नहीं मिलता, अतः यहाँ अकर्मक क्रिया है|
नोट – कभी अकर्मक क्रियाएँ भी सकर्मक बन जाती है| जैसे – बालक हँसता है| वह रोता है| गुडिया सोती है| ये क्रियाएँ प्रायः अकर्मक होती है| परन्तु कभी-कभी हिन्दी में अकर्मक क्रियाओ का प्रयोग इस प्रकार भी किया जाता है| बालक हंसी हँसता है| वह अपना रोना रोता है| गुडिया गहरी नींद सोती है| इन वाक्यों में क्रमशः हंसी, रोना, नींद, कर्म के आ जाने से वहाँ क्रियाएँ सकर्मक हो गयी| अतः अर्थ देखकर ही ऐसी क्रियाओ के अकर्मक या सकर्मक होने का निर्णय करना चाहिए| |
संरचना की दृष्टि से क्रियाएँ तीन प्रकार की होती है|
प्रेरणाथर्क क्रिया – जहाँ कर्ता स्वयं काम न करके किसी अन्य व्यक्ति को उसे करने की प्रेरणा देता है, वहाँ प्रेरणाथर्क क्रिया क्रिया होती है| जैसे –
अध्यापक राकेश से पाठ पढवाता है|
माता जी मधु से रोटी पाकवाती है|
कुछ प्रेरणाथर्क क्रिया
क्रिया | पहली प्रेरणाथर्क | दूसरी प्रेरणाथर्क |
पढना | पढाना | पढवाना |
करना | कराना | करवाना |
सीखना | सिखाना | सिखवाना |
संयुक्त क्रिया – दो या दो से अधिक धातुओ के मेल से बनने वाली क्रिया संयुक्त क्रिया कहलाती है| जैसे –
वह पढ़ चुका है| | तुम जा सकते हो| | मेरा ह्रदय दुःख से भर गया| |
नामधातु क्रिया – कई बार क्रिया को छोड़कर दुसरे शब्दों संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण आदि में प्रत्यय लगा कर धातु बना लिया जाता है, इसे नाम धातु कहते है| इन नाम धातुओ से बनी क्रियाओ को नाम धातु क्रिया कहते है| जैसे –
शब्द | प्रत्यय | नामधातु | क्रिया का स्वरुप |
गर्म | आ | गर्मा | गर्माना |
दुःख | आ | दुखा | दुखाना |
हाथ | या | हथिया | हथियाना |
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