अनुशासन पर निबंध हिंदी में 250 शब्द

अनुशासन पर निबंध

अनुशासन पर निबंध, अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है. शासन के अनुसार कार्य करना| अनुशासन का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है| जिस प्रकार भोजन हमारे शारीर को शक्ति प्रदान करता है, उसी प्रकार अनुशासन भी हमारी जीवन रूपी नैया को चलाने के लिए चप्पू का कार्य करता है| अनुशासन के बिना हमारा जीवन लंगर के बिना जलयान के समान है| न जाने कब नष्ट हो जाये| अनुशासन एक ऐसी सफलता की कुंजी है. जिसका आरम्भ से ही प्रयोग किया जाये तो हमारे जीवन रूपी स्वर्ग के द्वारा सरलता से खुल सकते है|

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन का होना जरुरी है| क्या घर में, क्या विधालय अथवा महाविधालयो में, क्या सामाजिक जीवन अथवा क्या सेना में| बचपन से ही इसका अभ्यास आवश्यक है. माता-पिता यदि अपने बच्चो को घर पर ही अनुशासन में रहने की शिक्षा दे तो वह समाज में भी स्थान बना सकता है| इसी प्रकार विधालय तथा महाविधालय में तो अनुशासन अनिवार्य है| अपने अध्यापको तथा प्राध्यापको की आज्ञानुसार विधा का अध्यन करना ही तो अनुशासन है| जिस विधालय में अनुशासन का आभाव हो उसके शीघ्र ही बन्द होने की आशंका होती है|

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प्रत्येक कार्यालय में छोटे से छोटे अधिकारी से बड़े से बड़े अधिकारी को अनुशासन में कार्य करना पड़ता है. तभी प्रत्येक कार्य सुचारू रूप से चल सकता है| सेना में तो अनुशासन का महान महत्त्व है| यदि सैनिक अपने सेनापति की आज्ञानुसार न चले तो केवल विनाश के और कुछ परिणाम नही निकलता| इसके विरुद्ध आज्ञा का पालन कर अनुशासन में रहने पर सफलता कदम चूमती है| कई लोग अनुशासन को दस्ता समझते है. और इसको अवहेलना की दृष्टि से देखते है. परन्तु वे एक महान भूल करते है| अनुशासन में रहना दस्ता नहीं अपितु सभ्यता का चिन्ह है| अनुशासन केवल मानव जाती के लिए नहीं, प्रकृति, पक्षी, पशु सभी अनुशासन के अनुसार कार्य करते है| इनसे मानव जाती को शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए|

सूर्य के नियमनुसार प्रातः उदय होता है| यदि वह प्रकृति का उल्लंघन करे तो संसार में प्रलय मच जाएगी| इसी प्रकार चाँद, सितारे, ऋतुएँ आदि सभी किसी महान शक्ति के आज्ञानुसार अनुशासन का पालन कर रही है| महात्मा गाँधी भी अनुशासन में रह कर ही विश्व में प्रसिद्धी प्राप्त की| अनुशासन में रहना में रहना यधपि चंचल वृति के मनुष्य को अप्रिय तो प्रतीत होता है. परन्तु वे यह नहीं जानते कि इसका फल अति सरस और मधुर होता है| इतिहास के अध्यन से पता चलता है. कि बाबर की मुट्ठी भर सेना ने इब्राहीम की सेना के चक्के छुड़ा दिए थे| वह सब अनुशासन का ही प्रताप था|

मधुमक्खियों को देखो की किस प्रकार अनुशासन में कार्य करती है| पशुओ के झुण्ड, पक्षियों के समूह एक विशेष क्रम में विचरते है| निर्बल होने पर भी अनुशासन का पालन करने वाला दल ही विजय प्राप्त करता है| इसलिए हमे भी सदैव अनुशासन के अनुसार रहना चाहिए| तभी हम अपनी जाती तथा राष्ट्र को उन्नति के मार्ग पर ले जा सकते है| किन्तु अनुशासन का पालन दण्ड अथवा भय के स्थान पर प्रेम, श्रद्धा और दृढ निष्ठा से करना चाहिए|

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